HEALTH BENEFITS AND USES OF TEA TREE OIL IN HINDI , टी ट्री ऑयल क्या होता है? - What is Tea Tree Oil in Hindi?


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टी ट्री ऑयल क्या होता है? - What is Tea Tree Oil in Hindi?

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टी ट्री का वैज्ञानिक नाम मेलेल्यूका ऑल्टरनिफोलिया है। टी ट्री एक छोटा पेड़ है, जो सिर्फ सात मीटर ऊंचा और झाड़ी की तरह दिखता है। इसके पेड़ की छाल सफेद और कागज की तरह बहुत पतली होती है। इसके पत्ते कोमल और चिकने होते हैं, जिसकी चौड़ाई 1 मिलीमीटर और लंबाई 10- 35 मिलीमीटर होती है। टी ट्री ऑयल बनाने की विधि (tea tree oil kaise banta hai) यह है कि इन पत्तों से ही तेल निकाला जाता है, जिसे हम टी ट्री ऑयल के नाम से जानते और प्रयोग में लाते हैं (tea tree oil in hindi)। इस पेड़ पर गरमी के मौसम में छोटे सफेद रंग के फूल भी खिलते हैं। कुछ लोग इस पेड़ को चाय का पौधा भी कहते हैं, जो आम चाय से बिल्कुल अलग है। इसके तेल का इस्तेमाल (tea tree oil uses in hindi) सालों से इलाज के लिए किया जाता रहा है। इस तेल में टेरपिनेन 4 ओएल होता है, जो आपकी सफेद रक्त कोशिकाओं की गतिविधि में वृद्धि करता है। यह बैक्टीरिया, वायरस और अन्य हानिकारक प्रभावों से लड़ने में मदद करता है। टी ट्री ऑयल प्राकृतिक तौर पर एंटी सेप्टिक, एंटी वायरल, एंटी माइक्रोबायल, एंटी इंफ्लेमेटरी, बैल्सेमिक और एंटी फंगल है। 


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HEALTH BENEFITS AND USES OF TEA TREE OIL IN ENGLISH , 

  • Promotes Glowing Skin. “Tea tree oil is not harsh and doesn't cause excessive dryness, peeling of the skin or any redness. ...
  • Prevents Acne. ...
  • Treats Cuts, Infections and Scars. ...
  • Fights Skin Cancer. ...
  • Treats Psoriasis and Eczema. ...
  • Reduces Hair Fall. ...
  • Cleanses Hair. ...
  • Gets Rid of Dandruff.

HEALTH BENEFITS AND USES OF TEA TREE OIL IN HINDI , 

ग्लोइंग स्किन को बढ़ावा देता है। “चाय के पेड़ का तेल कठोर नहीं होता है और त्वचा के छीलने या किसी लालिमा के कारण अत्यधिक सूखापन नहीं होता है। ...
मुँहासे से बचाता है। ...
कट्स, संक्रमण और निशान का इलाज करता है। ...
त्वचा कैंसर से लड़ता है। ...
सोरायसिस और एक्जिमा का इलाज करता है। ...
बालों का झड़ना कम करता है। ...
बाल साफ करता है। ...
रूसी से छुटकारा मिलता है।

खरोंच और घावों में लाभदायक

इस तेल का इस्तेमाल मामूली खरोंच और घावों में किया जा सकता है। इसमें एंटीसेप्टिक गुण पाए जाते हैं जो किसी भी संक्रमण को जख्मों के माध्यम से शरीर में प्रवेश करने नहीं देते हैं।


मच्छरों को भगाने में भी कारगर

टी ट्री ऑयल मच्छरों को भगाने में भी कारगर साबित होता है। खासकर बरसात के दिनों में जब डेंगू का प्रकोप बहुत बढ़ जाता है। तब आप टी ट्री ऑयल का उपयोग मच्छरों को भगाने में कर सकते हैं। साथ ही इस ऑयल का इस्तेमाल परफ्यूम के रूप में भी कर सकते हैं।


अरोमाथैरेपी में किया जाता है प्रयोग

टी ट्री ऑयल का इस्तेमाल अरोमाथैरेपी में भी किया जाता है। यह तेल चिंता, तनाव और अवसाद को कम कर सकता है। हालांकि, इस तेल के अधिक सुगंध से सिरदर्द का खतरा रहता है।

डिस्क्लेमर: स्टोरी के टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

स्किन के लिए टी ट्री ऑयल के फायदे - Tea Tree Oil Benefits for Skin in Hindi


मौसम के बदलते मिजाज का असर हमारी त्वचा पर भी पड़ता है। हमारी त्वचा पर न केवल रैशेज पड़ जाते हैं बल्कि त्वचा रुखी, बेजान हो जाने के साथ ही एक्ने और इंफेक्शन का भी शिकार हो जाती है। इन सारी समस्याओं का इलाज केवल एक ही है, उसका नाम है टी ट्री ऑयल।

रुखी त्वचा के लिए - For Dry Skin

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रुखी त्वचा को ठीक करने के लिए 5 चम्मच टी ट्री ऑयल में एक चम्मच बादाम का तेल मिलाकर त्वचा पर हल्के से मालिश करें। कुछ देर के लिए छोड़ दें और सामान्य पानी से स्नान करें। इसका नियमित प्रयोग आपकी त्वचा को लंबे समय तक हाइड्रेटेड रखेगा। आपकी त्वचा मुलायम, नरम और चमकदार बनी रहेगी। टी ट्री आयल का एक अन्य इस्तेमाल यह भी है - टी ट्री आयल फोर स्किन व्हाइटनिंग।

एक्ने- पिंपल्स हो जाएं ठीक - Removes Acne Pimples
आपने कई एंटी एक्ने स्किन क्रीम और फेस वॉश को बाजार में देखा होगा, जिसमें टी ट्री ऑयल के सत्व होते हैं। अध्ययन भी बताते हैं कि एक्ने को कम करने के लिए टी ट्री ऑयल बेनजॉली पेरोक्साइड जितना लाभकारी है। एक्ने को ठीक करने के लिए यह प्राकृतिक तौर पर काम करता है, जिससे त्वचा न तो छिलती है और न ही त्वचा लाल होती है। यह त्वचा से निकलने वाले सीबम को भी कम करता है और त्वचा पर एक्ने का निर्माण करने वाले बैक्टीरिया से लड़ता भी है। एक्ने के इलाज के लिए 2-3 बूंदें टी ट्री ऑयल की लीजिए, इसमें एक चम्मच शहद और एक चम्मच दही मिला लीजिए। अपनी उंगलियों के पोर से इस मिश्रण को एक्ने पर लगाइए। मोटी परत न लगाकर पतली परत लगाएं। 15- 20 मिनट के बाद चेहरे को धो लें। इस मिश्रण को कछ सप्ताह तक लगाते रहें, एक्ने छूमंतर हो जाएगा।


यदि आपकी त्वचा पर ब्लेमिशेज, गहरे दाग, मुंहासों के दाग हैं तो इलाज के लिए टी ट्री ऑयल से बेहतरीन कुछ और नहीं है। रुई पर कुछ बूंदें इस तेल की डालिए और त्वचा के प्रभावित क्षेत्र पर लगा लीजिए। आप चाहें तो टी ट्री ऑयल युक्त फेस वॉश और जेल का भी प्रयोग त्वचा पर कर सकती हैं। कठोर रसायनों और अल्कोहल से कहीं बेहतर है यह!

डियोडरेंट का करे काम - Works as a Deodrant
कई लोग शरीर की बदबू से परेशान रहते हैं। वे कई तरह के डियोडरेंट का प्रयोग भी करते हैं लेकिन शरीर या पसीने की दुर्गंध जाती नहीं है। समझें तो पसीना स्वयं बदबू उत्पन्न नहीं करता है लेकिन जब पसीना के साथ आपकी स्किन पर मौजूद बैक्टीरिया मिलते हैं तो तेल गंध आने लगती है। तो ऐसे में टी ट्री आयल बेनिफिट्स (tea tree oil benefits in hindi) आपके काम आएँगे। चूंकि टी ट्री ऑयल एंटी बैक्टीरियल है तो यह पसीने या शरीर की गंध से भी लड़ता है।

घाव भरने के लिए - For Wounds
यदि आपकी त्वचा पर कहीं कट गया है या घाव सा बन गया है तो भी टी ट्री ऑयल का प्रयोग लाभकारी रहेगा। कई बार शेविंग के बाद रेजर से त्वचा कट जाती है। यहां भी इसका इस्तेमाल फायदेमंद है। रुई पर कुछ बूंदें इस तेल की लगाकर सीधे कटी हुई त्वचा या घाव पर लगाइए। इससे त्वचा को सूदिंग अहसास होगा और राहत महूसस होगी।

फोड़ा, मस्सा और रिंगवर्म - Boils Wart and Ringworms
फोड़ा को ठीक करने के लिए भी टी ट्री ऑयल लाभकारी है। मस्से को हटाने के लिए शुद्ध टी ट्री ऑयल का प्रयोग कीजिए। इसे दिन में दो बार लगाइए। लेकिन ध्यान रखिए कि आपकी त्वचा संवेदनशील न हो, अन्यथा इस्तेमाल से पहले इसे हल्का कर लें। मस्से खुद ही खत्म हो जाएंगे। रुखे और फटे होंठों को भी ठीक करता है। आपकी त्वचा को कई तरह से स्वस्थ और सुरक्षित रखने में मददगार है यह तेल।

कीड़ों के काटने, रैशेज से बचाव - Protection from Worms and Rashes

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यदि रैशेज से आपको खुजली हो रही है तो इस तेल के प्रयोग में इसका इलाज है। कीड़ों के काटने से होने वाले खुजली या जलन में भी यह फायदेमंद है। अपने नहाने के पानी में कुछ बूंदें टी ट्री ऑयल की मिलाकर नहाएं। इस तरह से आपको बैक्टीरिया या फंगस से होने वाली त्वचा संबंधी एलर्जी से बचाव होगा। त्वचा की खुजली और लालिमा में भी यह फायदेमंद है।

हेल्दी नाखून के लिए - For Healthy Nails
नाखूनों में कई बार फंगल इंफेक्शन हो जाता है। इसे दूर करने के लिए हालांकि कई तरह की दवाइयां उपलब्ध हैं लेकिन इन दवाइयों के कई बार साइड इफेक्ट्स भी होते हैं। नाखूनों में हुए इंफेक्शन के लिए आप टी ट्री ऑयल का प्रयोग कर सकती हैं। धीरे- धीरे फंगल इंफेक्शन स्वयं ठीक हो जाएगा। चाहें तो सिर्फ टी ट्री ऑयल का प्रयोग करें या फिर नारियल तेल के साथ बराबर मात्रा में मिलाकर भी लगा सकती हैं।

एग्जिमा का खात्मा - Erosion of Eczema
हाथ पर होने वाला एग्जिमा जिंदगी जीने और खूबसूरती में बाधा उत्पन्न करता है। हाथ पर होने की वजह से यह जरा भी अच्छा नहीं दिखता। लेकिन जादुई टी ट्री ऑयल  के जरिए एग्जिमा का इलाज भी संभव है। इसके लिए टी ट्री ऑयल में नारियल तेल और लैवेंडर ऑयल को बराबर मात्रा में मिलाएं। नहाने जाने से पहले इस मिश्रण को प्रभावित हिस्से पर लगाएं। धीरे- धीरे यह एग्जिमा को दूर कर देगा।

माउथवॉश के लिए - For Mouthwash
टी ट्री ऑयल में मौजूद एंटी फंगल और एंटी बैक्टीरियल गुण दांतों को खराब होने और मुंह की बदबू से भी लड़ता है। अपने मुंह को हेल्दी बनाए रखने और बदबू को दूर रखने के लिए एक कप गरम पानी में दो- तीन बूंद टी ट्री ऑयल की मिलाएं और इस पानी से कुल्ला कर लें। ध्यान यह रखना है कि आपको इस पानी को निगलना नहीं है।

टी ट्री ऑयल बालों के लिए - Tea Tree Oil Benefits for Hair in हिंदी

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बाल पर भी बदलते मौसम का असर पड़ता है और बाल रुखे एवं बेजान हो जाते हैं। बाल से चमक गायब हो जाती है, साथ ही रुसी और जुएं यहां अपना घर बना लेती हैं। टी ट्री ऑयल हमारे बाल पर चमत्कारी तौर पर असर करता है और इन्हें चमकदार बनाने के साथ ही पोषित भी करता है।

लंबे बाल का राज - Long Hair Secrets
शोध बताते हैं कि बालों को लंबा करना है तो टी ट्री ऑयल लगाइए। यह बालों के  फॉलिकल्स को खोलता है और जड़ों को पोषण प्रदान करता है। इस तेल की कुछ बंदों को किसी भी तेल के साथ मिलाकर सिर पर मालिश करें। आपको ताजगी का अनुभव होगा।

डैंड्रफ से रक्षा - Protects from Dandruff
डैंड्रफ किसे अच्छे लगते हैं? लेकिन कई बार न चाहते हुए भी हैंड्रफ बाल में अपनी जगह बना ही लेते हैं। नहाते समय अपने शैम्पू में टी ट्री ऑयल की कुछ बूंदें मिलाइए और फिर शैम्पू करें। इस शैम्पू मिश्रण का प्रयोग नियमित तौर पर करें और देखें कि किस तरह आपको रुसी से निजात मिल गई है।

बाल की रुखी जड़ों के लिए रामबाण - Best for Dry Roots
यह आपके बालों में जान डालने के साथ ही जड़ों को भी पोषण प्रदान करता है। यह सिर के रोमछिद्रों को खोलता है। इसे जोजोबा ऑयल के सात मिलाकर 10- 15 मिनट तक सिर की मालिश करें। कुछ देर के लिए छोड़ दें और फिर धो लें।


हेल्थ के लिए टी ट्री ऑयल - Health Benefits of Tea Tree Oil in हिंदी

खूबसूरती निखारने के साथ ही आपको सेहतमंद रखने में टी ट्री ऑयल बड़ी भूमिका निभाता है।

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ब्लैडर इंफेक्शन करे ठीक - For Bladder Infection
टी ट्री ऑयल अपने एंटी बैक्टीरियल गुण की वजह से इतना बढ़िया है कि ब्लैडर इंफेक्शन को ठीक करने में आपकी सहायता करता है। नहाते समय पानी में दस बूंदें टी ट्री ऑयल की मिला लें और इससे अपने यूरिन के रास्ते को साफ कर सकती हैं।

एथलीट फुट का करे उपचार - Athlete Foot Treatment
एथलीट फुट इंफेक्शन पैर में होता है, जिसे कंट्रोल करना थोड़ा मुश्किल है। कई बार यह पैर के बाद हाथ में भी हो जाता है। लेकिन आप इसे ठीक करने के लिए टी ट्री ऑयल का प्रयोग बतौर एंटी वायरल और एंटी फंगल घरेलू नुस्खे के तौर पर भी कर सकती हैं। इसमें एंटीसेप्टिक गुण होते हैं, जो कई स्किन डिसऑर्डर में लाभकारी हैं। चाहें तो टी ट्री ऑयल की पत्तियों को पानी में उबाल कर या इसके एसेंशियल ऑयल को पानी में मिलाने के बाद लगाएं, लाभ तुरंत महसूस होगा। या फिर एक चौथाई अखरोड पाउडर, एक चौथाई कप बेकिंग सोडा और बीस- पच्चीस बूंदें टी ट्री ऑयल की मिलाएं और इसे एथलीट फुट पर दिन में दो बार लगा सकती हैं।

कान के इंफेक्शन में लाभकारी - Good for Ear Infection
कान में इंफेक्शन की वजह से दर्द भी कई बार हो जाता है। इसे ठीक करने के लिए टी ट्री ऑय, को उबालने के बाद इसमें ऑलिव ऑयल की कुछ बूंदें मिलाएं। अब इस मिश्रण को अपने कान में डालें और तेल कान से बाहर न निकले, इसके लिए रुई से रास्ता बंद कर दें। कान में दर्द को ठीक करने के लिए टी ट्री ऑयल में नारियल तेल को मिलाकर कान के बाहर लगा सकती हैं।

निमोनिया में प्रभावशाली - Effective in Pneumonia
कुछ अध्ययन बताते हैं कि टी ट्री ऑयल निमोनिया के लक्षणों को कम करने में मददगार है हालांकि इसके पुख्ता प्रमाण नहीं मिले हैं। बेहतर तो यह होगा कि इसके लिए डॉक्टर से संपर्क किया जाए।

सेक्सुअल रोगों से बचाव - Protects from Sexually Transmitted Diseases
एंटीबायोटिक गुणों के कारण सेक्सुअल बीमारियों से लड़ने में मदद करता है टी ट्री ऑयल। शरीर के प्रभावित हिस्से में रुई की मदद से टी ट्री ऑयल को लगाएं। ऐसा दिन में दो बार करें। धीरे- धीरे यह ठीक हो जाएगा। सेक्सुअल इंफेक्शन रोग क्लैमिडिया के इलाज में भी टी ट्री ऑयल का प्रयोग किया जा सकता है।



वजाइनल बदबू करे दूर - Removes Vaginal Stink
कुछ लोगों के वजाइना से बदबू आती है। इस बदबू को दूर करने का बढ़िया रास्ता है वहां पर टी ट्री ऑयल का इस्तेमाल। पानी में टी ट्री ऑयल की कुछ बूंदों को मिलाकर वजाइना के बाहर रुई से लगाएं और थोड़ी देर बाद पानी से साफ कर लें। इसे दिन भर में दो- चार बार भी लगा सकती हैं।

टी ट्री ऑयल के साइड इफेक्ट्स - Side Effects of Tea Tree Oil in Hindi
टी ट्री ऑयल को जहरीला माना जाता है। इसलिए आम तौर पर देखा जाए तो टी ट्री ऑयल का सेवन नुकसानदेह है। कई बार टी ट्री ऑयल का अधिक प्रयोग करने से स्किन पर जलन और इंफ्लेमेशन होने की आशंका रहती है। एक्ने के लिए इसका प्रयोग स्किन में ड्राईनेस और खुजली लेकर आ सकता है। वजाइनल इंफेक्शन के दौरान टी ट्री ऑयल का प्रयोग केवल बाहरी हिस्से में ही करना सही रहता है क्योंकि यह जहरीला होता है।




डिस्क्लेमर: 

स्टोरी के टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।



Health Benefits of Kulanjana Oil , Galangal Oil , कुलंजन तेल ( गलांगाल तेल ) के अनगिनत फायदे

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HEALTH BENEFITS OF GALANGAL OIL 


कुलंजन के तेल​ के फायदे :

  • यह थकान का इलाज करने में मदद करता है।
  • यह परिसंचरण को बढ़ाता है और संयुक्त और मांसपेशी कठोरता में सहायता करता है।
  • इसका उपयोग पाचन, भीड़, त्वचा की समस्याओं और कोलेरा के इलाज के रूप में किया जाता है।
  • यह तेल डिस्प्सीसिया, पेट फूलना, गति बीमारी, उल्टी, यात्रा बीमारी और पेटी के लिए एक इलाज है।
  • यह रूमेटोइड गठिया और गठिया के इलाज में मदद करता है।
  • यह शतरंज, ब्रोंकाइटिस, ठंड, अस्थमा और फ्लू जैसी श्वसन समस्याओं के इलाज के लिए उपयोगी है।
  • यह आंतों के वसा की पाचन में सहायता करता है।

1. 

मूत्राधिक्य ,Diuresis

2गले में ख़राश ,Sore throat

3.नपुंसकता , Impotence

4. सूजन ,Swelling 

5.दर्द, Pain

6.प्रत्यूर्जता , Allergy

7.फफुंदीय संक्रमण ,Fungal infections

8.मधुमेह , diabetes

9.जीवाणु संक्रमण , bacterial infection

10.व्रण , Ulcer

11.कैंसर, Cancer

12.जारणकारी तनाव. Oxidative stress

13.अपच, Indigestion

14.पेट फूलना, stomach enlargement

15.सिरदर्द , Headache

16. आमवाती दर्द ,Rheumatic pain

17. खट्टा डकार , Sour bel

18.सीने का दर्द , Chest pain

19.जिगर की जलन  , Liver irritation

20. गुर्दे के रोग ,Kidney disease

21.क्षय रोग संबंधी ग्रंथिया ,Tuberculosis glands

22. उदरशूल , Colic

23.दस्त ,Diarrhea

24 .उल्टी, Vomiting


कैसे आप सिर्फ एक किलो GALANGAL तेल से हर रोज कमा सकते है 117000 रूपये , खर्चा सिर्फ 890 रूपये

कुलंजन के स्वास्थ्य लाभ in details :

गलांगल के सबसे प्रभावशाली स्वास्थ्य लाभ एक एंटीकैंसर और विरोधी भड़काऊ एजेंट के रूप में कार्य करने, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने, शुक्राणु की गतिशीलता बढ़ाने और मस्तिष्क की रक्षा करने की क्षमता है। नीचे सूचीबद्ध गंगंगल के कुछ प्रसिद्ध स्वास्थ्य लाभ हैं

1. जीर्ण रोग

पुरानी बीमारी अक्सर पुरानी सूजन और मुक्त कणों के नकारात्मक प्रभावों का परिणाम है। इस मसाले में मौजूद आधा दर्जन एंटीऑक्सिडेंट के साथ, आपके गठिया, मधुमेह और कोरोनरी हृदय रोग का जोखिम उल्लेखनीय रूप से कम हो जाता है।

2. हृदय रोग और हृदय संबंधी समस्या को रोकना

रक्त संचार प्रणाली में गैंगल में जठरांत्र प्रणाली और अन्य महत्वपूर्ण अंगों को रक्त की आपूर्ति में वृद्धि से हृदय संकुचन, हृदय उत्पादन में कमी आती है। आयुर्वेदिक या भारतीय दवा में, गलंगल को अक्सर हृदय रोग पारंपरिक दवा के रूप में परोसा जाता है। जर्मनी, ऑस्ट्रिया, और स्विटज़रलैंड जैसे जर्मन भाषी देशों में दिल का दौरा पड़ने से रोकने के लिए गैलांगल को सबसे अच्छा घरेलू उपचार माना जाता है। यहां तक ​​कि डॉ। स्ट्रेनलेव ने, बिंजेन की दवाई के लेखक ने दिल के दौरे से जीवन रक्षक के रूप में गलंगल का उल्लेख किया। वह वह है जो विशेष रूप से युवा पीढ़ी के लिए स्वस्थ हृदय को बढ़ावा देने के लिए आधुनिक दवा में गैलंगल के उपयोग को बढ़ावा देता है।

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3. सूजन और गठिया को रोकें

कई शोधों से पता चला है कि गंगाजल में अदरक नामक एंटी-इंफ्लेमेटरी पदार्थ होते हैं जो प्रोस्टाग्लैंडीन सिंथेसिस को रोकते हैं और हिस्टामिनिक भी सेरोटोनिक मार्ग को बाधित करते हैं। गलांगल की यह विरोधी भड़काऊ प्रतिक्रिया गठिया और संधिशोथ उपचार के लक्षणों को कम करने में लाभकारी सेवा कर सकती है। संधिशोथ संयुक्त विकार की एक स्थिति है जो सूजन के कारण और लंबे समय तक चलने वाले ऑटोइम्यून विकार के प्रभाव के रूप में होती है।

4. ट्यूमर और कैंसर से बचाव

गैलंगल कई एंटीऑक्सिडेंट पदार्थ की मेजबानी करता है जो मुक्त कणों और शरीर में प्रवेश करने वाले अन्य विष घटक के कारण क्षतिग्रस्त डीएनए को कम करने में मदद करते हैं। यूके के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए शोध में पाया गया कि फेफड़ों और स्तन कैंसर से पीड़ित लोगों के साथ प्रयोग के अनुसार गलंगल निकालने में कैंसर विरोधी गतिविधियाँ होती हैं। गलांगल में सबसे अधिक एंटीऑक्सिडेंट घटक जो मुक्त कणों से लड़ते हैं, वे गलावांगिन नामक फ्लेवोनॉयड होते हैं। गैलेंजिन एंजाइम की गतिविधि को नियंत्रित कर सकता है और रसायन-जहरीलेपन को दबा सकता है। इससे पता चला कि गलांगा बहुत ही संभावित जड़ी-बूटियाँ हैं जो कैंसर-रोधी का काम करती हैं। अन्य शोधों में यह भी बताया गया है कि ट्रांसकोनिवरिल डायसेट, एसिटॉक्सी चैविकोल एसीटेट और एसिटोकसी यूजेनॉल सीटेट, एक्सथिन एंजाइम के मार्ग को रोक सकते हैं जो ट्यूमर के विकास को गति प्रदान करते हैं।

5. पाचन समस्या के कारण होने वाली बेचैनी से राहत दिलाता है

गलांगा में आहार फाइबर और फाइटो-रसायन पेट में भोजन मिश्रण की प्रक्रिया को बढ़ाने में मदद करता है। यह लार और पाचन एसिड स्राव को कम करने में भी मदद करता है जो अल्सर वाले लोगों को समस्या देता है। गैलंगल का सेवन करने से व्यक्ति के पेट को आराम मिल सकता है जो अल्सर से पीड़ित है। यह भी माना जाता है कि गलंगा एनोरेक्सिया और पेट दर्द को रोक सकता है। जावा द्वीप, इंडोनेशिया में ताजा कद्दूकस किया हुआ गंगाल थोड़ा नमक डालकर खाली पेट दिया जाता है। यह माना जाता है कि कसा हुआ गैलंगल बढ़े हुए प्लीहा को ठीक कर सकता है और पेट में बेचैनी की भावना को दूर कर सकता है।

गलंगल की मजबूत सुगंधित गंध मतली का इलाज कर सकती है। उन प्रभावों के अलावा, गलंगल को कार्मिनिटिव प्रभाव भी माना जाता है जो पेट फूलने से राहत देता है। गैलंगल की कोई विशिष्ट अनुशंसित खुराक नहीं है, लेकिन 1 ग्राम कंद का उपयोग कैरमैनेटिव के रूप में किया जा सकता है।

6. अस्थमा से छुटकारा

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स्वस्थ श्वसन प्रणाली को बनाए रखने में गैंगल महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। गैलांगन जो दवा के रूप में इस्तेमाल किया गया है, इसमें एक एंटीस्पास्मोडिक प्रभाव होता है जो बलगम (कपा) को कम करता है और अस्थमा को कम करने के लिए ब्रोन्किओल्स को पतला करता है। यह भाषण खामियों जैसे कि डिसरथ्रिया, हकलाना और वाचाघात के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

7. रक्त लिपिड और कोलेस्ट्रॉल कम करना

चीन के शोधकर्ताओं ने बताया है कि गंगा का अर्क फैटी-एसिड सिंथेज़ को प्रभावी ढंग से रोक सकता है। गैलांगा को अपने फ्लेवोनोइड द्वारा वसा संश्लेषण के तंत्र को रोकने के लिए माना जाता है, जैसे कि गैलांगिन, क्वेरसेटिन और केम्पफेरोल। जबकि कोरिया के शोधकर्ताओं ने यह भी प्रदर्शित किया कि गलांगा के अर्क ने ट्राइग्लिसराइड और कोलेस्ट्रॉल को काफी कम कर दिया।

8. समुद्र, गति और सुबह की बीमारी से छुटकारा पाएं

माना जाता है कि गंगा का मांस चबाना मोशन सिकनेस को ठीक करता है। गलांगा में सुगंधित तेल तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित और शांत कर सकता है। गर्भवती महिला आमतौर पर मॉर्निंग सिकनेस का अनुभव करती है। गर्म पानी और शहद के साथ पीसा हुआ गलंगल स्लाइस पीने से सुबह की बीमारी से राहत मिल सकती है।

9. दस्त के लिए इलाज

गैलंगल में एंटी-बैक्टीरियल प्रभाव होता है जो रोगज़नक़ बैक्टीरिया से छुटकारा दिलाता है और दस्त का इलाज कर सकता है। अनुसंधान ने गैंगंगल के विभिन्न अर्क की रोगाणुरोधी गतिविधि को दिखाया जैसे कि एशेरिचिया कोली, साल्मोनेला एंटरिडिटिस, क्लोस्ट्रीडियम परफिंजेंस, स्टैफिलोकोकस ऑरियस, कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी, बेसिलस सेरेस जैसे कुछ जनित रोगजनक बैक्टीरिया डायरिया का कारण हैं।

10. पोलुरिया में पेशाब कम आना

मूत्र प्रणाली में गैलंगल मूत्र उत्पादन की क्षमता को थोड़ा कम कर देता है और इसका उपयोग पोल्यूरिया और अन्य मूत्र विकार में उपचार के रूप में किया जाता है।

11. शरीर को स्टैमिना बनाए रखें

इंडोनेशिया में लोग टॉनिक का उत्पादन करने के लिए अन्य अवयवों जैसे लहसुन, काली मिर्च, इमली और आदि के साथ गंगाजल मिलाते थे जिसे वे "जामू" कहते थे। यह टॉनिक शरीर की सहनशक्ति रखने के लिए माना जाता है अगर दिन में तीन बार सेवन किया जाए और मांसपेशियों की थकान को दूर करने में मदद की जाए।

12. नपुंसकता के लिए उपयोग किया जाता है

ऐसा कहा जाता है कि गंगाजल का एक टुकड़ा मुंह में रखने से यौन इच्छा को बढ़ावा मिलता है। अरब देशों में गलगल को कामोद्दीपक के रूप में उपयोग किया जाता है और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में लोग अक्सर मासिक धर्म संबंधी विकार के उपचार में गलंगल का उपयोग करते हैं।

13. शरीर को ठंड से बचाएं

बाहरी आवेदन और गलांगा पाउडर का सेवन संचार विफलता के कारण उच्च श्वसन और ठंडक को कम करता है। नेपाल में यात्रा करने वाले डॉक्टर के एक अनुभव ने कहा कि रक्त संचार में सुधार और गर्म भावना पैदा करने के कारण गलंगल ठंड के खिलाफ तत्काल राहत देने वाला है।

14. खांसी, गले में खराश और साफ होने वाली आवाज से राहत दें

गैलंगल में expectorant कार्रवाई है और कई श्वसन समस्याओं में उपयोगी है, विशेष रूप से उन बच्चों के लिए जो हूपिंग खांसी से पीड़ित हैं। भारत में सीने में दर्द, गले में खराश और साफ आवाज को राहत देने के लिए लोग गर्म पानी के साथ गंगाजल का अर्क मिलाते हैं। बस कुछ गैलंगल पाउडर मिलाएं या चूने के साथ उबला हुआ पानी में गैलंगल स्लाइस काढ़ा करें। यह एक टॉनिक हो सकता है जो खांसी और गले की समस्या को दूर कर सकता है।
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15. कैटरर को राहत दें

कैटरल नाक गुहा में अत्यधिक श्लेष्म उत्पादन की स्थिति है जो श्लेष्म झिल्ली की सूजन के कारण होता है। जब कोई व्यक्ति सर्दी या फ्लू से पीड़ित होता है, तो एक लक्षण है। गंगाजल के पाउडर को सूंघने के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है जो कि राहत देने में मदद करता है। बस 15-30 ग्राम गैलन पाउडर को गर्म पानी में घोलें और फिर इसे सूंघें।

16. कान के दर्द को कम करना

कान में कभी-कभी संक्रमण हमारी गतिविधि को परेशान करता है और यह गंभीर हो सकता है अगर हम सिर्फ दर्द को कान में रहने दें। गलंगल कान में दर्द को कम करने में मदद कर सकता है जो सूजन के कारण होता है। बस कुछ गंगाजल को कद्दूकस कर लें और उसमें से तरल निचोड़ लें फिर इसे अपने कान में डालें।

17. बालों की जड़ों को मजबूत करता है और स्वस्थ बालों को बढ़ावा देता है

गैलंगल का हृदय प्रभाव भी बालों की जड़ के विकास को लाभ दिखाता है। गंगाजल का स्वस्थ हृदय प्रभाव बालों की जड़ तक ऑक्सीजन के परिवहन में सुधार करता है और बालों की ताकत बढ़ाता है।

18. इम्यून सिस्टम और एंटी-एचआईवी को मजबूत करें

अनुसंधान ने यह साबित किया है कि गर्म पानी में घुलने वाले गैलंगल का पॉलीसैकराइड अर्क रेटिकुलो एंडोथेलियल सिस्टम (आरईएस) सेल के विकास पर एक उत्तेजक प्रभाव रखता है और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में भूमिका निभाने वाली कोशिकाओं और प्लीहा कोशिकाओं को बढ़ाता है। ये यिंग ली बाओ द्वारा किए गए शोध में बताया गया है कि 1′S-1 ac-acetoxychavicol एसीटेट जो कि गंगल के अर्क से अलग है, में एंटी ह्यूमन इम्यूनोडिफीसिअन्सी वायरस टाइप 1 है और वायरस की प्रतिकृति को अवरुद्ध करता है।

19. ऑस्टियोआर्थराइटिस के लक्षण को कम करना

अनुसंधान जिसने यादृच्छिक डबल-ब्लाइंड प्लेसेबो को नियंत्रित किया था, ओस्टियोआर्थराइटिस के रोगियों में लक्षणों और दर्द को कम करने और गंभीर घुटने के दर्द से पीड़ित होने के लिए गैलंगल का केंद्रित अर्क पाया गया है।

20. रक्त परिसंचरण में सुधार करता है

हर्ब को आपके शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने की क्षमता के रूप में घोषित किया जाता है। ऐसा करने से, गलंगल रक्त परिसंचरण में सुधार करता है और त्वचा के ऊतकों में पोषक तत्वों के प्रवेश की अनुमति देता है। इसी तरह, जड़ी बूटी के पास मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण हानिकारक विषाक्त पदार्थों को आपके शरीर में जमा होने से रोकता है। जैसे ही आपके शरीर से अवांछित विषाक्त पदार्थों को हटाया जाता है, आपके परिसंचरण तंत्र की गतिविधि में सुधार होता है।

21. त्वचा को जवां बनाए रखें

कॉस्मेटिक उद्योग एंटी-एजिंग फॉर्मूला बनाने के प्रयास में गैलंगल अर्क का उपयोग करता है। यह कोई बड़ी बात नहीं है क्योंकि हम जानते हैं कि गैंगंगल में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट शरीर में प्रवेश करने वाले मुक्त कणों को रोकने के लिए बहुत प्रभाव डालते हैं जो उम्र बढ़ने को भी बढ़ावा देता है। गैलंगल में विटामिन सी त्वचा कोशिकाओं के कायाकल्प में भी भूमिका निभाता है और त्वचा को उम्र बढ़ने से दूर रखता है।
22. लिवर को केमिकल की विषाक्तता से बचाएं

पेरासिटामोल के उपयोग के रूप में रासायनिक दुष्प्रभाव के खिलाफ जिगर की रक्षा के लिए एक संभावित प्रभाव भी पाया जाता है। तो अपने पकवान में कुछ गंगाजल जोड़ने से दिल और जिगर की रक्षा करने का सबसे अच्छा तरीका है।

rahsya.net

23. अल्जाइमर रोग और मानसिक थकान को रोकें

अल्जाइमर, डिमेंशिया के एक लक्षण के रूप में मस्तिष्क समारोह में क्षति एक चौंकाने वाली बीमारी है। कुछ शोधकर्ता ने पाया कि गंगंगल जड़ी बूटी संज्ञानात्मक बढ़ाने और मस्तिष्क की याददाश्त को बढ़ाने के बाद अल्जाइमर को रोकने में संभावित प्रभाव डालती है।

24. मुँहासे और मुँहासे के निशान से छुटकारा पाएं

अगर आपको मुंहासों की समस्या है, तो मुंहासों और डार्क स्पॉट को हटाने के लिए गंगल एक घरेलू उपाय हो सकता है। गंगाजल का रस पीने या त्वचा पर गंगल का मांस रगड़ने से धीरे-धीरे मुँहासे और त्वचा की सुस्ती कम हो सकती है।

25. भूख बढ़ाना

गैंगंगल जड़ी बूटी का उपयोग भूख बढ़ाने के लिए भी किया जा सकता है और यही कारण है कि कुछ पकवान जो गैंगंगल का उपयोग करते हैं, उन्हें खाने के लिए अधिक माउथवॉटरिंग होती है और पाचन तंत्र को शांत करने में गैलंगल के प्रभाव से किसी को भोजन का आनंद अच्छी तरह से मिल सकता है।

26. त्वचा की कुछ समस्या और एलर्जी का इलाज करें

गलांगा की जड़ें सीधे कुछ त्वचा क्षेत्र को रगड़ने के लिए इस्तेमाल की जा सकती हैं जो कवक द्वारा संक्रमित होती हैं। इंडोनेशिया के एक द्वीप जावा में, लोग त्वचा के फंगस के कारण होने वाले सफेद धब्बे वाले क्षेत्र में गलांगा रगड़ते थे, जिसे इंडोनेशिया में लोग गंगा के स्लाइस के साथ "पानू" कहते थे। यह भी जाना जाता है कि अन्य त्वचा की समस्या जैसे एक्जिमा, जलन और खुजली वाली त्वचा को ठीक करने के लिए गलंगा का उपयोग दिन में 2 से 3 बार त्वचा पर किया जा सकता है। अगर आपको झींगा, मछली या किसी अन्य समुद्री भोजन से एलर्जी है और इससे आपकी त्वचा में खुजली होती है, तो रोज़ाना गंगाल टॉनिक या चाय पीने से धीरे-धीरे आपकी एलर्जी दूर हो सकती है।

27. रूसी और खोपड़ी की समस्या को दूर करें

गैलंगल के एंटी-फंगल प्रभाव को त्वचा के लगभग क्षेत्र पर लागू किया जा सकता है जो कवक से संक्रमित होता है, कम खोपड़ी का कोई भी नहीं। कवक खोपड़ी को संक्रमित कर सकता है और परिणामस्वरूप रूसी हो सकता है। आप इसे सीधे खोपड़ी पर रगड़ सकते हैं या जैतून के तेल के साथ कुछ कसा हुआ गैलंगल मिला सकते हैं और फिर इसे खोपड़ी के क्षेत्र पर फैला सकते हैं जो कवक द्वारा संक्रमित होता है।

28. बांझपन का इलाज करता है

यह सुझाव दिया गया है कि पश्चिम में शुक्राणु की गुणवत्ता में कमी आई है। शुक्राणु की गुणवत्ता में कमी के साथ बांझपन की संभावना आती है। गर्भधारण की इच्छा रखने वाले जोड़े जहां शुक्राणु की गुणवत्ता कम संबंधित मुद्दों को एक विकल्प के रूप में केवल आईवीएफ है। अन्य, शुक्राणु की गुणवत्ता में सुधार के लिए कम आक्रामक तरीके इसलिए आवश्यक हैं। विभिन्न नैदानिक ​​परीक्षणों से पता चला है कि गलंगल में प्रजनन क्षमता बढ़ाने की क्षमता है। जिस तरह से यह शुक्राणु-उत्पत्ति, शुक्राणु का निर्माण, इस प्रकार शुक्राणुओं की संख्या में वृद्धि करता है। यह शुक्राणु की गतिशीलता को भी बढ़ाता है, जो शुक्राणु कोशिकाओं की एक गति है।


गंगंगल (कुलंजन) के आयुर्वेदिक स्वास्थ्य लाभ

दमा:
 आधा टीस्पून मिलाएं। रूट स्टॉक पाउडर 250 मिलीलीटर पानी में। इसे 4 घंटे के लिए छोड़ दें। 1 चम्मच जोड़कर इस जलसेक को पीएं। इसमें शहद।

चेस्ट कंजेशन:

 पीने के पानी के बर्तन में कुछ कुचल जड़ स्टॉक भिगोएँ। जब भी प्यास लगे तो शहद मिलाकर पीएं।

खांसी:
 2 कप पानी लें। 4 घंटे के लिए 5 ग्राम कुचले हुए गंगाजल के छिलके को भिगो दें। 1 चम्मच जोड़ें। शहद और पेय। या: गलंगल रूट स्टॉक और चीनी के पाउडर को बराबर अनुपात में मिलाएं। आधा टीस्पून लें। सोते समय गर्म दूध के साथ। या: गंगाल के मूल स्टॉक पर अरंडी के तेल की एक परत बनाएं। जब तक यह गर्म न हो जाए। इसे पाउडर और स्टोर करने के लिए पीस लें। आधा टीस्पून लें। दिन में एक बार शहद के साथ। या: चीनी के साथ गलंगल के प्रकंद को कुचलें। 3 ग्राम है। दिन में एक बार।

कफ:

 1/2 चम्मच जोड़ें। 2 कप पानी में गंगाजल का चूर्ण। इसे 3 घंटे तक रखें। पीने से पहले 1 चम्मच शहद के साथ मीठा। या: दिन में एक बार चीनी के साथ गंगाजल का कुचल स्टॉक खाएं। या: गैंगल के प्रकंद का जलसेक बनाएं। इसे छान लें और चीनी डालें। दिन में तीन बार 10 मिलीलीटर लें

जुकाम:
 प्रत्येक गंगाल की छाल और चीनी का 50 ग्राम चूर्ण लें। गर्म दूध के साथ सोते समय 3 ग्राम लें।

मतली:
 गैंगल के प्रकंद को लें इसे कैस्टर ऑयल में डुबोएं। इसे आंच पर भूनें। इसे पाउडर करें। रोजाना शहद के साथ 3 ग्राम लें। या चीनी के साथ गंगाजल के प्रकंद पाउडर की समान मात्रा मिलाएं। 1 चम्मच खाएं। दिन में एक बार।


मसूढ़े की बीमारी:
 गैंगल के प्रकंद का काढ़ा बनायें इसे गार्गल के लिए उपयोग करें।



बुखार:

 गलंगल और शक्कर का मूल स्टॉक मिलाएं। पाउडर बनाने के लिए पीसें। आधा टीस्पून लें। सोते समय गर्म पानी या दूध के साथ।

सिरदर्द:

 बराबर मात्रा में चीनी और गंगाजल की जड़ को मिलाकर पीस लें। सोने से पहले गर्म दूध के साथ 3 ग्राम लें।


मांसपेशियों की ऐंठन:

 बाह्य रूप से कसा हुआ गैलींगल को एक पुल्टिस के रूप में लागू करें। या: एक गर्म fomentation के रूप में उपयोग करें

मेन्स स्कैंटी:

 एक दिन के लिए नियमित रूप से आधा कप गर्म गंगाजल की चाय पियें। यह पसीने को बढ़ावा देता है।

गले में खराश: 

राहत पाने के लिए जड़ स्टॉक चबाएं।

गठिया:

 एक कप गुनगुने पानी में 4 ग्राम प्रकंद का चूर्ण मिलाएं। इसे दिन में तीन बार पियें।


पाचन संबंधी विकार:

 हर भोजन से पहले 3 ग्राम प्रकंद के चूर्ण का सेवन करें।

कामोद्दीपक:

 दिन में एक बार 6 ग्राम गैलंगल रूट स्टॉक का नियमित सेवन स्पर्म काउंट बढ़ाने में मदद करता है

अस्थमा: 

एक मिट्टी के बर्तन में 6 चम्मच चम्मच बेल के पत्ते, क्लिंजिंग बैंगन और कुचले हुए गंगाल की जड़ का एक छोटा टुकड़ा मिलाएं। एक बड़ा चम्मच जीरा, 4 काली मिर्च और एक बड़ा चम्मच सूखा अदरक पाउडर मिलाएं। 3 गिलास पानी डालें। एक गिलास तक कम उबालें। दिन में दो बार एक चम्मच लें।

खांसी: 

एक मिट्टी के बर्तन में 6 चम्मच चम्मच बेल के पत्ते, क्लिंजिंग बैंगन और कुचले हुए गंगाल की जड़ का एक छोटा टुकड़ा मिलाएं। एक बड़ा चम्मच जीरा, 4 काली मिर्च और एक बड़ा चम्मच सूखा अदरक पाउडर मिलाएं। 3 गिलास पानी डालें। एक गिलास तक कम उबालें। दिन में दो बार एक चम्मच लें।

ब्रोंकाइटिस:

 कबाब, गलांगल, लीकोरिस और लॉन्ग पीपर की समान मात्रा लें। इन्हें एक साथ पीस लें। एक कप पानी में दो चम्मच पाउडर उबालें। दो चम्मच शहद मिलाएं और प्रतिदिन गुनगुना करें।

खांसी: 

कबाब, गलांगल, लीकोरिस और लॉन्ग पीपर को बराबर मात्रा में पीस लें। रोजाना दो चम्मच शहद के साथ एक चम्मच लें।


सांस लेना:

 बेताल पत्ती के साथ गैलंगल की एक छोटी मात्रा कुचल जड़ को चबाएं।

खांसी: 
एक चम्मच लें। गैलंगल, एबिस स्पेक्ट्राबेलिस, लॉन्ग पेपर, और नद्यपान का पाउडर। पेस्ट बनाने के लिए थोड़ा पानी डालें। इसे 4 कप पानी के साथ उबाल आने तक गर्म करें। इस काढ़े को शहद के साथ दिन में तीन बार लें।


खांसी: 

3 मिलीलीटर के लिए 250 मिलीलीटर उबला हुआ पानी में गैलंगल रूट स्टॉक का एक छोटा टुकड़ा भिगोएँ। इसमें कुछ खजूर चीनी मिला लें। 3 चम्मच लें। दिन में तीन बार।
टॉन्सिलाइटिस:

 लीकोरिस, स्वीट फ्लैग और गैलंगल की समान मात्रा लें। इन्हें एक साथ पीस लें। दिन में एक बार हनी के साथ एक चम्मच लें

लिबिडो बूस्टर: 

20 ग्राम सिनीडियम, 20 ग्राम चाइनीज गैल, 20 ग्राम लिगस्टिकम वालिचि रूट, 20 ग्राम लीव्स और होरी बकरे के तने का आटा, 20 ग्राम मोरिंडा ऑफिसिनैलिस रूट, 20 ग्राम चुफा रूट, 20 ग्राम जड़ और राइजोम का सूखा हुआ रूप लें। नोटोप्ट्रीजियम, 20 ग्राम फ्लावर ऑफ मैगनोलिया बार्क, 20 ग्राम गैलंगल राइजोम, 8 से 10 लहसुन लौंग, 30 ग्राम शिसांद्रा फल, 10 ग्राम दालचीनी की छाल और 30 ग्राम रूट रूट और स्पाइकेंर्ड के राइजोम। उन्हें एक साथ पाउडर करें। कुछ रातों के लिए दूध के साथ आधा चम्मच लें। यह सूत्र पुरुषों और महिलाओं दोनों में कामेच्छा को बढ़ाता है। विशेष रूप से महिलाओं में बेहतर परिणाम पाए गए हैं। यह शरीर को गर्म करता है और सेक्स स्टैमिना को बढ़ाता है।






Health Benefits of Kulanjana Oil , Galangal Oil , कुलंजन तेल ( गलांगाल तेल ) के अनगिनत फायदे 

References:


BENEFITS OF KULANJANA ( galangal ) IN HINDI

File:Alpinia calacarata Rox.jpg - Wikimedia Commons




1. 

मूत्राधिक्य ,Diuresis

2गले में ख़राश ,Sore throat

3.नपुंसकता , Impotence

4. सूजन ,Swelling 

5.दर्द, Pain

6.प्रत्यूर्जता , Allergy

7.फफुंदीय संक्रमण ,Fungal infections

8.मधुमेह , diabetes

9.जीवाणु संक्रमण , bacterial infection

10.व्रण , Ulcer

11.कैंसर, Cancer

12.जारणकारी तनाव. Oxidative stress

13.अपच, Indigestion

14.पेट फूलना, stomach enlargement

15.सिरदर्द , Headache

16. आमवाती दर्द ,Rheumatic pain

17. खट्टा डकार , Sour bel

18.सीने का दर्द , Chest pain

19.जिगर की जलन  , Liver irritation

20. गुर्दे के रोग ,Kidney disease

21.क्षय रोग संबंधी ग्रंथिया ,Tuberculosis glands

22. उदरशूल , Colic

23.दस्त ,Diarrhea

24 .उल्टी, Vomiting


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कुलंजन के स्वास्थ्य लाभ in details :

गलांगल के सबसे प्रभावशाली स्वास्थ्य लाभ एक एंटीकैंसर और विरोधी भड़काऊ एजेंट के रूप में कार्य करने, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने, शुक्राणु की गतिशीलता बढ़ाने और मस्तिष्क की रक्षा करने की क्षमता है। नीचे सूचीबद्ध गंगंगल के कुछ प्रसिद्ध स्वास्थ्य लाभ हैं

1. जीर्ण रोग

पुरानी बीमारी अक्सर पुरानी सूजन और मुक्त कणों के नकारात्मक प्रभावों का परिणाम है। इस मसाले में मौजूद आधा दर्जन एंटीऑक्सिडेंट के साथ, आपके गठिया, मधुमेह और कोरोनरी हृदय रोग का जोखिम उल्लेखनीय रूप से कम हो जाता है।

2. हृदय रोग और हृदय संबंधी समस्या को रोकना

रक्त संचार प्रणाली में गैंगल में जठरांत्र प्रणाली और अन्य महत्वपूर्ण अंगों को रक्त की आपूर्ति में वृद्धि से हृदय संकुचन, हृदय उत्पादन में कमी आती है। आयुर्वेदिक या भारतीय दवा में, गलंगल को अक्सर हृदय रोग पारंपरिक दवा के रूप में परोसा जाता है। जर्मनी, ऑस्ट्रिया, और स्विटज़रलैंड जैसे जर्मन भाषी देशों में दिल का दौरा पड़ने से रोकने के लिए गैलांगल को सबसे अच्छा घरेलू उपचार माना जाता है। यहां तक ​​कि डॉ। स्ट्रेनलेव ने, बिंजेन की दवाई के लेखक ने दिल के दौरे से जीवन रक्षक के रूप में गलंगल का उल्लेख किया। वह वह है जो विशेष रूप से युवा पीढ़ी के लिए स्वस्थ हृदय को बढ़ावा देने के लिए आधुनिक दवा में गैलंगल के उपयोग को बढ़ावा देता है।

Galangal | Jnzl's Photos | Flickr

3. सूजन और गठिया को रोकें

कई शोधों से पता चला है कि गंगाजल में अदरक नामक एंटी-इंफ्लेमेटरी पदार्थ होते हैं जो प्रोस्टाग्लैंडीन सिंथेसिस को रोकते हैं और हिस्टामिनिक भी सेरोटोनिक मार्ग को बाधित करते हैं। गलांगल की यह विरोधी भड़काऊ प्रतिक्रिया गठिया और संधिशोथ उपचार के लक्षणों को कम करने में लाभकारी सेवा कर सकती है। संधिशोथ संयुक्त विकार की एक स्थिति है जो सूजन के कारण और लंबे समय तक चलने वाले ऑटोइम्यून विकार के प्रभाव के रूप में होती है।

4. ट्यूमर और कैंसर से बचाव

गैलंगल कई एंटीऑक्सिडेंट पदार्थ की मेजबानी करता है जो मुक्त कणों और शरीर में प्रवेश करने वाले अन्य विष घटक के कारण क्षतिग्रस्त डीएनए को कम करने में मदद करते हैं। यूके के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए शोध में पाया गया कि फेफड़ों और स्तन कैंसर से पीड़ित लोगों के साथ प्रयोग के अनुसार गलंगल निकालने में कैंसर विरोधी गतिविधियाँ होती हैं। गलांगल में सबसे अधिक एंटीऑक्सिडेंट घटक जो मुक्त कणों से लड़ते हैं, वे गलावांगिन नामक फ्लेवोनॉयड होते हैं। गैलेंजिन एंजाइम की गतिविधि को नियंत्रित कर सकता है और रसायन-जहरीलेपन को दबा सकता है। इससे पता चला कि गलांगा बहुत ही संभावित जड़ी-बूटियाँ हैं जो कैंसर-रोधी का काम करती हैं। अन्य शोधों में यह भी बताया गया है कि ट्रांसकोनिवरिल डायसेट, एसिटॉक्सी चैविकोल एसीटेट और एसिटोकसी यूजेनॉल सीटेट, एक्सथिन एंजाइम के मार्ग को रोक सकते हैं जो ट्यूमर के विकास को गति प्रदान करते हैं।

5. पाचन समस्या के कारण होने वाली बेचैनी से राहत दिलाता है

गलांगा में आहार फाइबर और फाइटो-रसायन पेट में भोजन मिश्रण की प्रक्रिया को बढ़ाने में मदद करता है। यह लार और पाचन एसिड स्राव को कम करने में भी मदद करता है जो अल्सर वाले लोगों को समस्या देता है। गैलंगल का सेवन करने से व्यक्ति के पेट को आराम मिल सकता है जो अल्सर से पीड़ित है। यह भी माना जाता है कि गलंगा एनोरेक्सिया और पेट दर्द को रोक सकता है। जावा द्वीप, इंडोनेशिया में ताजा कद्दूकस किया हुआ गंगाल थोड़ा नमक डालकर खाली पेट दिया जाता है। यह माना जाता है कि कसा हुआ गैलंगल बढ़े हुए प्लीहा को ठीक कर सकता है और पेट में बेचैनी की भावना को दूर कर सकता है।

गलंगल की मजबूत सुगंधित गंध मतली का इलाज कर सकती है। उन प्रभावों के अलावा, गलंगल को कार्मिनिटिव प्रभाव भी माना जाता है जो पेट फूलने से राहत देता है। गैलंगल की कोई विशिष्ट अनुशंसित खुराक नहीं है, लेकिन 1 ग्राम कंद का उपयोग कैरमैनेटिव के रूप में किया जा सकता है।

6. अस्थमा से छुटकारा

File:An Asthma patient taking medication using an inhaler.png ...

स्वस्थ श्वसन प्रणाली को बनाए रखने में गैंगल महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। गैलांगन जो दवा के रूप में इस्तेमाल किया गया है, इसमें एक एंटीस्पास्मोडिक प्रभाव होता है जो बलगम (कपा) को कम करता है और अस्थमा को कम करने के लिए ब्रोन्किओल्स को पतला करता है। यह भाषण खामियों जैसे कि डिसरथ्रिया, हकलाना और वाचाघात के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

7. रक्त लिपिड और कोलेस्ट्रॉल कम करना

चीन के शोधकर्ताओं ने बताया है कि गंगा का अर्क फैटी-एसिड सिंथेज़ को प्रभावी ढंग से रोक सकता है। गैलांगा को अपने फ्लेवोनोइड द्वारा वसा संश्लेषण के तंत्र को रोकने के लिए माना जाता है, जैसे कि गैलांगिन, क्वेरसेटिन और केम्पफेरोल। जबकि कोरिया के शोधकर्ताओं ने यह भी प्रदर्शित किया कि गलांगा के अर्क ने ट्राइग्लिसराइड और कोलेस्ट्रॉल को काफी कम कर दिया।

8. समुद्र, गति और सुबह की बीमारी से छुटकारा पाएं

माना जाता है कि गंगा का मांस चबाना मोशन सिकनेस को ठीक करता है। गलांगा में सुगंधित तेल तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित और शांत कर सकता है। गर्भवती महिला आमतौर पर मॉर्निंग सिकनेस का अनुभव करती है। गर्म पानी और शहद के साथ पीसा हुआ गलंगल स्लाइस पीने से सुबह की बीमारी से राहत मिल सकती है।

9. दस्त के लिए इलाज

गैलंगल में एंटी-बैक्टीरियल प्रभाव होता है जो रोगज़नक़ बैक्टीरिया से छुटकारा दिलाता है और दस्त का इलाज कर सकता है। अनुसंधान ने गैंगंगल के विभिन्न अर्क की रोगाणुरोधी गतिविधि को दिखाया जैसे कि एशेरिचिया कोली, साल्मोनेला एंटरिडिटिस, क्लोस्ट्रीडियम परफिंजेंस, स्टैफिलोकोकस ऑरियस, कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी, बेसिलस सेरेस जैसे कुछ जनित रोगजनक बैक्टीरिया डायरिया का कारण हैं।

10. पोलुरिया में पेशाब कम आना

मूत्र प्रणाली में गैलंगल मूत्र उत्पादन की क्षमता को थोड़ा कम कर देता है और इसका उपयोग पोल्यूरिया और अन्य मूत्र विकार में उपचार के रूप में किया जाता है।

11. शरीर को स्टैमिना बनाए रखें

इंडोनेशिया में लोग टॉनिक का उत्पादन करने के लिए अन्य अवयवों जैसे लहसुन, काली मिर्च, इमली और आदि के साथ गंगाजल मिलाते थे जिसे वे "जामू" कहते थे। यह टॉनिक शरीर की सहनशक्ति रखने के लिए माना जाता है अगर दिन में तीन बार सेवन किया जाए और मांसपेशियों की थकान को दूर करने में मदद की जाए।

12. नपुंसकता के लिए उपयोग किया जाता है

ऐसा कहा जाता है कि गंगाजल का एक टुकड़ा मुंह में रखने से यौन इच्छा को बढ़ावा मिलता है। अरब देशों में गलगल को कामोद्दीपक के रूप में उपयोग किया जाता है और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में लोग अक्सर मासिक धर्म संबंधी विकार के उपचार में गलंगल का उपयोग करते हैं।

13. शरीर को ठंड से बचाएं

बाहरी आवेदन और गलांगा पाउडर का सेवन संचार विफलता के कारण उच्च श्वसन और ठंडक को कम करता है। नेपाल में यात्रा करने वाले डॉक्टर के एक अनुभव ने कहा कि रक्त संचार में सुधार और गर्म भावना पैदा करने के कारण गलंगल ठंड के खिलाफ तत्काल राहत देने वाला है।

14. खांसी, गले में खराश और साफ होने वाली आवाज से राहत दें

गैलंगल में expectorant कार्रवाई है और कई श्वसन समस्याओं में उपयोगी है, विशेष रूप से उन बच्चों के लिए जो हूपिंग खांसी से पीड़ित हैं। भारत में सीने में दर्द, गले में खराश और साफ आवाज को राहत देने के लिए लोग गर्म पानी के साथ गंगाजल का अर्क मिलाते हैं। बस कुछ गैलंगल पाउडर मिलाएं या चूने के साथ उबला हुआ पानी में गैलंगल स्लाइस काढ़ा करें। यह एक टॉनिक हो सकता है जो खांसी और गले की समस्या को दूर कर सकता है।
galangal | Pseph | Flickr
15. कैटरर को राहत दें

कैटरल नाक गुहा में अत्यधिक श्लेष्म उत्पादन की स्थिति है जो श्लेष्म झिल्ली की सूजन के कारण होता है। जब कोई व्यक्ति सर्दी या फ्लू से पीड़ित होता है, तो एक लक्षण है। गंगाजल के पाउडर को सूंघने के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है जो कि राहत देने में मदद करता है। बस 15-30 ग्राम गैलन पाउडर को गर्म पानी में घोलें और फिर इसे सूंघें।

16. कान के दर्द को कम करना

कान में कभी-कभी संक्रमण हमारी गतिविधि को परेशान करता है और यह गंभीर हो सकता है अगर हम सिर्फ दर्द को कान में रहने दें। गलंगल कान में दर्द को कम करने में मदद कर सकता है जो सूजन के कारण होता है। बस कुछ गंगाजल को कद्दूकस कर लें और उसमें से तरल निचोड़ लें फिर इसे अपने कान में डालें।

17. बालों की जड़ों को मजबूत करता है और स्वस्थ बालों को बढ़ावा देता है

गैलंगल का हृदय प्रभाव भी बालों की जड़ के विकास को लाभ दिखाता है। गंगाजल का स्वस्थ हृदय प्रभाव बालों की जड़ तक ऑक्सीजन के परिवहन में सुधार करता है और बालों की ताकत बढ़ाता है।

18. इम्यून सिस्टम और एंटी-एचआईवी को मजबूत करें

अनुसंधान ने यह साबित किया है कि गर्म पानी में घुलने वाले गैलंगल का पॉलीसैकराइड अर्क रेटिकुलो एंडोथेलियल सिस्टम (आरईएस) सेल के विकास पर एक उत्तेजक प्रभाव रखता है और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में भूमिका निभाने वाली कोशिकाओं और प्लीहा कोशिकाओं को बढ़ाता है। ये यिंग ली बाओ द्वारा किए गए शोध में बताया गया है कि 1′S-1 ac-acetoxychavicol एसीटेट जो कि गंगल के अर्क से अलग है, में एंटी ह्यूमन इम्यूनोडिफीसिअन्सी वायरस टाइप 1 है और वायरस की प्रतिकृति को अवरुद्ध करता है।

19. ऑस्टियोआर्थराइटिस के लक्षण को कम करना

अनुसंधान जिसने यादृच्छिक डबल-ब्लाइंड प्लेसेबो को नियंत्रित किया था, ओस्टियोआर्थराइटिस के रोगियों में लक्षणों और दर्द को कम करने और गंभीर घुटने के दर्द से पीड़ित होने के लिए गैलंगल का केंद्रित अर्क पाया गया है।

20. रक्त परिसंचरण में सुधार करता है

हर्ब को आपके शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने की क्षमता के रूप में घोषित किया जाता है। ऐसा करने से, गलंगल रक्त परिसंचरण में सुधार करता है और त्वचा के ऊतकों में पोषक तत्वों के प्रवेश की अनुमति देता है। इसी तरह, जड़ी बूटी के पास मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण हानिकारक विषाक्त पदार्थों को आपके शरीर में जमा होने से रोकता है। जैसे ही आपके शरीर से अवांछित विषाक्त पदार्थों को हटाया जाता है, आपके परिसंचरण तंत्र की गतिविधि में सुधार होता है।

21. त्वचा को जवां बनाए रखें

कॉस्मेटिक उद्योग एंटी-एजिंग फॉर्मूला बनाने के प्रयास में गैलंगल अर्क का उपयोग करता है। यह कोई बड़ी बात नहीं है क्योंकि हम जानते हैं कि गैंगंगल में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट शरीर में प्रवेश करने वाले मुक्त कणों को रोकने के लिए बहुत प्रभाव डालते हैं जो उम्र बढ़ने को भी बढ़ावा देता है। गैलंगल में विटामिन सी त्वचा कोशिकाओं के कायाकल्प में भी भूमिका निभाता है और त्वचा को उम्र बढ़ने से दूर रखता है।
22. लिवर को केमिकल की विषाक्तता से बचाएं

पेरासिटामोल के उपयोग के रूप में रासायनिक दुष्प्रभाव के खिलाफ जिगर की रक्षा के लिए एक संभावित प्रभाव भी पाया जाता है। तो अपने पकवान में कुछ गंगाजल जोड़ने से दिल और जिगर की रक्षा करने का सबसे अच्छा तरीका है।

Free stock photo of fresh, ginger

23. अल्जाइमर रोग और मानसिक थकान को रोकें

अल्जाइमर, डिमेंशिया के एक लक्षण के रूप में मस्तिष्क समारोह में क्षति एक चौंकाने वाली बीमारी है। कुछ शोधकर्ता ने पाया कि गंगंगल जड़ी बूटी संज्ञानात्मक बढ़ाने और मस्तिष्क की याददाश्त को बढ़ाने के बाद अल्जाइमर को रोकने में संभावित प्रभाव डालती है।

24. मुँहासे और मुँहासे के निशान से छुटकारा पाएं

अगर आपको मुंहासों की समस्या है, तो मुंहासों और डार्क स्पॉट को हटाने के लिए गंगल एक घरेलू उपाय हो सकता है। गंगाजल का रस पीने या त्वचा पर गंगल का मांस रगड़ने से धीरे-धीरे मुँहासे और त्वचा की सुस्ती कम हो सकती है।

25. भूख बढ़ाना

गैंगंगल जड़ी बूटी का उपयोग भूख बढ़ाने के लिए भी किया जा सकता है और यही कारण है कि कुछ पकवान जो गैंगंगल का उपयोग करते हैं, उन्हें खाने के लिए अधिक माउथवॉटरिंग होती है और पाचन तंत्र को शांत करने में गैलंगल के प्रभाव से किसी को भोजन का आनंद अच्छी तरह से मिल सकता है।

26. त्वचा की कुछ समस्या और एलर्जी का इलाज करें

गलांगा की जड़ें सीधे कुछ त्वचा क्षेत्र को रगड़ने के लिए इस्तेमाल की जा सकती हैं जो कवक द्वारा संक्रमित होती हैं। इंडोनेशिया के एक द्वीप जावा में, लोग त्वचा के फंगस के कारण होने वाले सफेद धब्बे वाले क्षेत्र में गलांगा रगड़ते थे, जिसे इंडोनेशिया में लोग गंगा के स्लाइस के साथ "पानू" कहते थे। यह भी जाना जाता है कि अन्य त्वचा की समस्या जैसे एक्जिमा, जलन और खुजली वाली त्वचा को ठीक करने के लिए गलंगा का उपयोग दिन में 2 से 3 बार त्वचा पर किया जा सकता है। अगर आपको झींगा, मछली या किसी अन्य समुद्री भोजन से एलर्जी है और इससे आपकी त्वचा में खुजली होती है, तो रोज़ाना गंगाल टॉनिक या चाय पीने से धीरे-धीरे आपकी एलर्जी दूर हो सकती है।

27. रूसी और खोपड़ी की समस्या को दूर करें

गैलंगल के एंटी-फंगल प्रभाव को त्वचा के लगभग क्षेत्र पर लागू किया जा सकता है जो कवक से संक्रमित होता है, कम खोपड़ी का कोई भी नहीं। कवक खोपड़ी को संक्रमित कर सकता है और परिणामस्वरूप रूसी हो सकता है। आप इसे सीधे खोपड़ी पर रगड़ सकते हैं या जैतून के तेल के साथ कुछ कसा हुआ गैलंगल मिला सकते हैं और फिर इसे खोपड़ी के क्षेत्र पर फैला सकते हैं जो कवक द्वारा संक्रमित होता है।


28. बांझपन का इलाज करता है

यह सुझाव दिया गया है कि पश्चिम में शुक्राणु की गुणवत्ता में कमी आई है। शुक्राणु की गुणवत्ता में कमी के साथ बांझपन की संभावना आती है। गर्भधारण की इच्छा रखने वाले जोड़े जहां शुक्राणु की गुणवत्ता कम संबंधित मुद्दों को एक विकल्प के रूप में केवल आईवीएफ है। अन्य, शुक्राणु की गुणवत्ता में सुधार के लिए कम आक्रामक तरीके इसलिए आवश्यक हैं। विभिन्न नैदानिक ​​परीक्षणों से पता चला है कि गलंगल में प्रजनन क्षमता बढ़ाने की क्षमता है। जिस तरह से यह शुक्राणु-उत्पत्ति, शुक्राणु का निर्माण, इस प्रकार शुक्राणुओं की संख्या में वृद्धि करता है। यह शुक्राणु की गतिशीलता को भी बढ़ाता है, जो शुक्राणु कोशिकाओं की एक गति है।


गंगंगल (कुलंजन) के आयुर्वेदिक स्वास्थ्य लाभ

दमा:
 आधा टीस्पून मिलाएं। रूट स्टॉक पाउडर 250 मिलीलीटर पानी में। इसे 4 घंटे के लिए छोड़ दें। 1 चम्मच जोड़कर इस जलसेक को पीएं। इसमें शहद।

चेस्ट कंजेशन:

 पीने के पानी के बर्तन में कुछ कुचल जड़ स्टॉक भिगोएँ। जब भी प्यास लगे तो शहद मिलाकर पीएं।

खांसी:
 2 कप पानी लें। 4 घंटे के लिए 5 ग्राम कुचले हुए गंगाजल के छिलके को भिगो दें। 1 चम्मच जोड़ें। शहद और पेय। या: गलंगल रूट स्टॉक और चीनी के पाउडर को बराबर अनुपात में मिलाएं। आधा टीस्पून लें। सोते समय गर्म दूध के साथ। या: गंगाल के मूल स्टॉक पर अरंडी के तेल की एक परत बनाएं। जब तक यह गर्म न हो जाए। इसे पाउडर और स्टोर करने के लिए पीस लें। आधा टीस्पून लें। दिन में एक बार शहद के साथ। या: चीनी के साथ गलंगल के प्रकंद को कुचलें। 3 ग्राम है। दिन में एक बार।

कफ:

 1/2 चम्मच जोड़ें। 2 कप पानी में गंगाजल का चूर्ण। इसे 3 घंटे तक रखें। पीने से पहले 1 चम्मच शहद के साथ मीठा। या: दिन में एक बार चीनी के साथ गंगाजल का कुचल स्टॉक खाएं। या: गैंगल के प्रकंद का जलसेक बनाएं। इसे छान लें और चीनी डालें। दिन में तीन बार 10 मिलीलीटर लें

जुकाम:
 प्रत्येक गंगाल की छाल और चीनी का 50 ग्राम चूर्ण लें। गर्म दूध के साथ सोते समय 3 ग्राम लें।

मतली:
 गैंगल के प्रकंद को लें इसे कैस्टर ऑयल में डुबोएं। इसे आंच पर भूनें। इसे पाउडर करें। रोजाना शहद के साथ 3 ग्राम लें। या चीनी के साथ गंगाजल के प्रकंद पाउडर की समान मात्रा मिलाएं। 1 चम्मच खाएं। दिन में एक बार।


मसूढ़े की बीमारी:
 गैंगल के प्रकंद का काढ़ा बनायें इसे गार्गल के लिए उपयोग करें।


बुखार:

 गलंगल और शक्कर का मूल स्टॉक मिलाएं। पाउडर बनाने के लिए पीसें। आधा टीस्पून लें। सोते समय गर्म पानी या दूध के साथ।

सिरदर्द:

 बराबर मात्रा में चीनी और गंगाजल की जड़ को मिलाकर पीस लें। सोने से पहले गर्म दूध के साथ 3 ग्राम लें।


मांसपेशियों की ऐंठन:

 बाह्य रूप से कसा हुआ गैलींगल को एक पुल्टिस के रूप में लागू करें। या: एक गर्म fomentation के रूप में उपयोग करें

मेन्स स्कैंटी:

 एक दिन के लिए नियमित रूप से आधा कप गर्म गंगाजल की चाय पियें। यह पसीने को बढ़ावा देता है।

गले में खराश: 

राहत पाने के लिए जड़ स्टॉक चबाएं।

गठिया:

 एक कप गुनगुने पानी में 4 ग्राम प्रकंद का चूर्ण मिलाएं। इसे दिन में तीन बार पियें।


पाचन संबंधी विकार:

 हर भोजन से पहले 3 ग्राम प्रकंद के चूर्ण का सेवन करें।

कामोद्दीपक:

 दिन में एक बार 6 ग्राम गैलंगल रूट स्टॉक का नियमित सेवन स्पर्म काउंट बढ़ाने में मदद करता है

अस्थमा: 

एक मिट्टी के बर्तन में 6 चम्मच चम्मच बेल के पत्ते, क्लिंजिंग बैंगन और कुचले हुए गंगाल की जड़ का एक छोटा टुकड़ा मिलाएं। एक बड़ा चम्मच जीरा, 4 काली मिर्च और एक बड़ा चम्मच सूखा अदरक पाउडर मिलाएं। 3 गिलास पानी डालें। एक गिलास तक कम उबालें। दिन में दो बार एक चम्मच लें।

खांसी: 

एक मिट्टी के बर्तन में 6 चम्मच चम्मच बेल के पत्ते, क्लिंजिंग बैंगन और कुचले हुए गंगाल की जड़ का एक छोटा टुकड़ा मिलाएं। एक बड़ा चम्मच जीरा, 4 काली मिर्च और एक बड़ा चम्मच सूखा अदरक पाउडर मिलाएं। 3 गिलास पानी डालें। एक गिलास तक कम उबालें। दिन में दो बार एक चम्मच लें।

ब्रोंकाइटिस:

 कबाब, गलांगल, लीकोरिस और लॉन्ग पीपर की समान मात्रा लें। इन्हें एक साथ पीस लें। एक कप पानी में दो चम्मच पाउडर उबालें। दो चम्मच शहद मिलाएं और प्रतिदिन गुनगुना करें।

खांसी: 

कबाब, गलांगल, लीकोरिस और लॉन्ग पीपर को बराबर मात्रा में पीस लें। रोजाना दो चम्मच शहद के साथ एक चम्मच लें।


सांस लेना:

 बेताल पत्ती के साथ गैलंगल की एक छोटी मात्रा कुचल जड़ को चबाएं।

खांसी: 
एक चम्मच लें। गैलंगल, एबिस स्पेक्ट्राबेलिस, लॉन्ग पेपर, और नद्यपान का पाउडर। पेस्ट बनाने के लिए थोड़ा पानी डालें। इसे 4 कप पानी के साथ उबाल आने तक गर्म करें। इस काढ़े को शहद के साथ दिन में तीन बार लें।


खांसी: 

3 मिलीलीटर के लिए 250 मिलीलीटर उबला हुआ पानी में गैलंगल रूट स्टॉक का एक छोटा टुकड़ा भिगोएँ। इसमें कुछ खजूर चीनी मिला लें। 3 चम्मच लें। दिन में तीन बार।
टॉन्सिलाइटिस:

 लीकोरिस, स्वीट फ्लैग और गैलंगल की समान मात्रा लें। इन्हें एक साथ पीस लें। दिन में एक बार हनी के साथ एक चम्मच लें

लिबिडो बूस्टर: 

20 ग्राम सिनीडियम, 20 ग्राम चाइनीज गैल, 20 ग्राम लिगस्टिकम वालिचि रूट, 20 ग्राम लीव्स और होरी बकरे के तने का आटा, 20 ग्राम मोरिंडा ऑफिसिनैलिस रूट, 20 ग्राम चुफा रूट, 20 ग्राम जड़ और राइजोम का सूखा हुआ रूप लें। नोटोप्ट्रीजियम, 20 ग्राम फ्लावर ऑफ मैगनोलिया बार्क, 20 ग्राम गैलंगल राइजोम, 8 से 10 लहसुन लौंग, 30 ग्राम शिसांद्रा फल, 10 ग्राम दालचीनी की छाल और 30 ग्राम रूट रूट और स्पाइकेंर्ड के राइजोम। उन्हें एक साथ पाउडर करें। कुछ रातों के लिए दूध के साथ आधा चम्मच लें। यह सूत्र पुरुषों और महिलाओं दोनों में कामेच्छा को बढ़ाता है। विशेष रूप से महिलाओं में बेहतर परिणाम पाए गए हैं। यह शरीर को गर्म करता है और सेक्स स्टैमिना को बढ़ाता है।





References: