इस घोर कलयुग में भी राधा रानी ने कैसे दिए अपने भक्त को दर्शन

आखिर  कैसे ! राधा रानी ने एक छोटी सी बच्ची बनकर दिए एक अपनी सच्ची भगत को  दर्शन ! दोस्तों ! ये कलयुग का समय हैं ! इस कलयुग में हरी भजन ही एक मात्र उपाय ह मोक्ष पाने का ! जो भगत हरि नाम भजेगा हरि स्वंय उसे बचाने  के लिए किसी न किसी रूप में प्रकट होंगे ! आज हम आपको देवी राधा रानी की उसी भगतनि की कथा बता रहे  हैं जिसे  देवी राधा ने छोटी  बच्ची बनकर दर्शन दिए और अंत में उसे अपने अंदर समाहित कर लिया !दोस्तों जैसा की आप जानते हैं कि देवी राधा रानी को कृष्ण भगवान कि प्रिय सखी के रूप में जाना और पूजा जाता हैं

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 लेकिन अगर देवी राधा को उनका कोई भगत सच्ची श्रद्धा से पूजता हैं  तो वे उसकी  सभी इच्छा पूरी करती हैं ! तो दोस्तों कथा के अनुसार एक गांव में रामा नाम कि एक महिला रहती थी ! वह बहुत ही भोली थी ! उसकी शादी को 5 साल से ज्यादा हो चुके थे लेकिन उनके घर में अभी तक कोई संतान नहीं हुई थीं ! उनके घरवाले बच्चे के लिए बहुत तरसते थे ! एक बार कि बात हैं कि रामा के गांव कि कुछ महिलाएं राधा अष्ट्मी के दिन किशोरी जी यानि राधा रानी के दर्शन  के लिए बरसाने जा रही थी  उन्होंने रामा को भी अपने साथ चलने के लिए कहा ! रामा चलने के लिए तुरंत  तैयार हो गयी वह बहुत खुश थी कि वो पहली बार बरसाने धाम जा रही थी  उसने ये बात जाकर अपनी सास को बताई ! रामा कि सास ने कहा कि ये तो अच्छी बात हैं किशोरी जी बहुत करुणामयी हैं क्या पता वे तेरी गोद भर दे ! इसके बाद रामा ख़ुशी - ख़ुशी जाने कि तैयारी करने लगी उसी रात कि गाडी से सबको बरसाने धाम जाना था लेकिन शाम  को ही रामा के पाँव में काम करते हुए अचानक चोट लग गई थी यह देख कर उसकी सास ने कहा कि वहाँ फिर कभी चले जाना क्योकि  वहाँ बहुत पैदल चलना पड़ता हैं और तुम पैदल कैसे चलोगी पर रामा नहीं मानी उसे लग रहा था कि क्या पता बरसाने धाम जाने से किशोरी जी उसकी गोद भर दे ! इसलिए सास के लाख मना करने पर भी रामा उन महिलाओं के साथ बरसाने धाम जाने के लिए निकल पड़ी ! रामा और उसकी सहेलियाँ राधा जी का जयकारा करते हुए मथुरा और वृन्दावन में श्री कृष्ण के दर्शन करते हुए बरसाने धाम पहुंची  ! मंदिर कि सीढ़ियों पर सब राधे - राधे  का जयकारा लगाते हुए चली जा रही थीं !रामा के पैर में चोट लगने के कारण उससे चला नहीं जा रहा था वह धीरे -धीरे चढ़ने लगी उसने सबसे कहा कि तुम लोग जाओ मेँ तुम्हे अटारी पर मंदिर के बाहर मिलूंगी आप सभी वहीं मेरा इन्तजार करना ! रामा राधे - राधे कहती हुई सीढिया चढ़ रही थीं कि तभी उसका पैर मूड़ गया वह गिरने ही वाली थीं कि तभी 7 से 8 साल कि बच्ची ने उसका हाथ पकड़ लिया और फिर रामा से बोली मैया संभलकर चलो नहीं तो गिर जाओगी ! यह सुन रामा घबरा गयी रामा ने उस लड़की कि और देखा और धन्यवाद देते हुए कहा कि बेटी अगर तुम न होती तो मैं गिर ही जाती ! तब लड़की ने कहा नहीं मैया मै न गिरने देती आपको जब भी वो लड़की रामा को मैया कहती रामा को बड़ा सकुन मिलता ! मैया शब्द सुनकर रामा कि आँखों मै आंसू आ गए रामा थोड़ी देर के लिए वहीं बैठ गयी वो लड़की भी रामा के PAAS ही बैठ गयी तब रामा ने पूछा कि बेटी तुम कहा रहती हो लड़की ने कहा मैया मै तो यही रहती हूँ और यही मेरा घर है ! उसके बाद लड़की बोली मैया मेरे लिए तुम क्या लेकर आयी हो  यह सुन रामा हैरान होकर उसे देखने लगी रामा बोली मै तेरे लिए क्या लाऊंगी मै तो तुम्हे जानती भी नहीं लड़की बोली मैया मै तो यही रहती हूँ यही मेरा घर ह सब मुझे प्यार से लाडो बुलाते है तुम भी मुझे लाडो नाम से ही बुलाओ और है मैंने तुम्हे गिरने से भी बचाया  है तुम मुझे कुछ दोगी भी नहीं क्या ? उसकी भोली भाली और मीठी बातें सुनकर रमा मन ही मन खुश हो रही थी ! फिर रामा बोली अच्छा बताओ बेटी तुम्हे क्या चाहिए ? मै तुम्हे कल लेकर जरूर दूंगी !अगले 8 दिनों तक मै यही हूँ ! राधा अष्ट्मी के दिन किशोरी जी के  दर्शन करने के बाद ही हम सभी अपने घर को जायेंगे ! तो लाडो बोली मैया मुझे चूड़ी , कंगन , मेहँदी , घाघरा चोली , माथे का टीका , बिछुवे सभी पसंद हैं तो क्या आप मुझे सभी लेकर दोगी !तो रामा बोली हां मेरी लाडो बेटी सब ला दूंगी !उसके बाद रामा बोली लाडो अब मै चलती हूँ !मेरी सखियाँ ऊपर मंदिर के बाहर मेरा इंतज़ार कर रही हैं ! तब लाडो बोली ठीक हैं मैया मै आपको छोड़ आती हूँ !कहीं तुम फिर से न गिर जाना ! रामा लाडो की प्यारी - प्यारी बातें सुनते उसका हाथ पकड़कर सिडिया चढ़ने लगी ! कुछ देर बाद दोनों अटारीं पर पहुंच गयें ! लाडो बोली मैया अब मै चलती हूं ! तब रामा भी मंदिर के अंदर चली गयी  !  मंदिर मै रामा ने किशोरी जी और ठाकुर जी के दर्शन किये !बहुत ही आनंदमय दर्शन हुए ! अगले दिन रामा लाडो के लिए बहुत सूंदर चूड़ियां और पायल लेकर सीढ़ियां चढ़ रही थी तब उसने देखा लाडो पहले से ही बैठी उसका इंतज़ार कर रही हैं रामा को देखते ही लाडो बोली मैया मेरे लिए चूड़ी , टीका लायी हो या नहीं रामा ने उसको चुडिया और पायल दे दी ! लाडो बोली मैया तुम तो कह रही थी सब लाऊंगी बाकीं चीजे कहाँ हैं ! तब रामा बोली अरें मै अभी 8 दिन यही हूँ रोज तुझे कुछ न कुछ लाकर दूंगी  ताकि तुम मुझसे रोज मिलने आ सको ! अगर मै तुम्हे एक दिन मै ही सब लाकर दे दूंगी फिर तो तुम मुझसे मिलोगी ही नहीं ! यह सुन लाडो मुस्कराने लगी और चूड़ी ,पायल लेकर वह से भाग गयी ! एक दिन की बात हैं कि जब रामा लाडो से मिली तो उसके साथ एक लड़का भी था  !

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 तीखे नैन नक्श , रंग सावंला ,घुंगराले बाल इतना सूंदर कि रामा कि नज़र उससे हट ही नहीं रही थी ! रामा ने पूछा  -  ये कौन हैं  ! तब लाडो बोली मैया ये मेरा सखा है हम साथ ही रहते है मैया कल तुम इसके लिए भी कुछ लेकर आना ! अगले दिन रामा उस लड़के के लिए बाजार से सूंदर सा धोती कुरता और मौर मुकुट लेकर गयी ! उसने देखा दोनों बच्चे वहीं सीढ़ियों पर बैठें हैं और उसका इंतज़ार कर रहे है ! रामा ने बच्चो को बहुत प्यार किया और खूब सारी बातें की ! उसने बच्चो को मौर मुकुट और धोती कुरता दिया ! उसके बाद रामा ने कहा देख लाडो मैंने तुझे और तेरे सखा को सब चीज़ें लाकर दी पर तुम दोनों ने तो कुछ पहनकर दिखाया  ही नहीं मै भी तो देखूं कि तुम दोनों कैसे लगते हो और तुम्हारा नाप सही है या नहीं ! तब लाडो बोली मैया कल राधा अष्ट्मी है मै तुम्हे कल पहनकर दिखाऊंगी ! ये कहकर दोनों बच्चे चले गए ! रामा भी मंदिर में दर्शन कर के चली गयी ! अगले दिन राधा अष्ट्मी के दिन मंदिर में लाखों कि संख्या में लोग आये ! मंदिर में राधे - राधे के जयकारे लग रहे थे ! अब रामा भी वहां पहुंची जहां लाडो उससे रोज मिलती थी पर आज लाडो वहां नहीं थीं ! रामा ने सोचा आज बहुत भीड़ है उत्स्व का दिन है हो सकता है लाडो आज आयी ही नहीं ! रामा मंदिर में दर्शन करने के लिए पहुंचीं ! भीड़ के कारण रामा को दर्शन नहीं हो पा रहें थे ! रामा भीड़ को चीरती हुईं बड़ी मुश्किल से आगे किशोरी जी और कृष्ण जी के दर्शन के लिए पहुंची ! वहां जाकर वो तो थोड़ी देर के लिए पत्थर हो गयी ! उसने देखा किशोरी जी ने वहीं सामान पहना हुआ है जो उसने लाडो को दिया था ! वहीं मोटे-मोटे घोटें वाला लेहंगा चोली वहीं चूड़ियाँ , ठाकुर जी ने भी वहीं धोती कुरता और मुकुट पहना था ! उसके पुरे शरीर से पसीने निकलने लगे ! उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था ! बड़ी मुश्किल से पुजारी तक पहुंचकर रामा ने पूछा कि आज वस्त्रो और श्रृंगार की व्यवस्था किसने की हैं! पुजारी ने कहा आज वस्त्रो की व्यवस्था स्वंय लाड़ली जी ने की है ! आज सुबह जब हमने पट खोले ये सारा श्रृंगार और वस्त्र वहीं रखें थे ! हमने इसे लाड़ली जी की मर्जी समझकर इन्हें यहीं पहना दिया ! यह सुनकर रामा तो जैसे पागल सी हो गयी ! उसे समझ नहीं आ रहा था जिस लाडो और उसके सखा से रोज मिल रही थी वो तो साक्षात् किशोरी जी और ठाकुर जी थे ! वो पागलों की तरह निच्चे सीढ़ियों तक आयी जहां वो रोज उनसे मिलती थी और जोर - जोर से लाडो-लाडो चिल्लाने लगी ! पर आज तो लाडो को लाखों लोगों को दर्शन देने थे वो वहां कहा से आती ! तभी वहां रामा की सखियाँ आ गयीं उन्होंने पूछा तुम किसे पुकार रही हो ! इसके बाद रामा ने सारा किस्सा उन्हें बताया वे भी रामा के द्वारा दिए गए लेहंगा चोली को पहचान गयीं क्योंकि रामा ने उन्हें उनकर सामने ही तैयार किया था !सब हैरान हो गए ! रामा ने वापिस घर जाने से मना कर दिया ! रामा बोली में घर नहीं जाउंगी जब तक मुझे लाडो नहीं मिलेंगी ! 

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 तब सब  औरतें अपने - अपने घर चली गयी ! यह बात जब रामा के घर वालो को पता चली तो रामा की सास और पति भी रामा को घर ले जाने के लिए आये ! पर रामा उनके साथ भी नहीं गयी ! रामा अब भी उन सीढ़ियों पर आकर लाडो की याद में आंसू  बहती और लाडो -लाडो चिलाती ! जब शाम तक भी लाडो नहीं आती तो उसे बहुत पीड़ा होती   ! परन्तु उस पीड़ा का भी अपना ही एक आनंद था ! ऐसा करते हुए रामा को 30 साल बीत गए !रामा कमजोर हो चुकी थी ! बुढ़ापा अब हावी होने लगा था ! एक दिन एक छोटी सी लड़की रामा का हाथ पकड़कर  अटारी पर उसे ले गयी ! और बोली मैया ये रही तुम्हारी लाडो ! रामा की वहीं लाडो बाहें फैलाएं उसे बुला रही थी ! रामा बावली सी हो गयी थी !और एक आखिरी हिचकी के साथ रामा वहीं गिर गयी ! ऐसा लगा मानो किशोरी जी ने रामा को नहीं उसकी आत्मा को ही गले लगा लिया हो !!! 

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