Hindi Story | Hindi khaniya | हिंदी कहानी। इज़्ज़त की रोटी। पिता के बाद बच्चे। बिन पति के बनी माँ

 


इज़्ज़त की रोटी।  पिता के बाद बच्चे।

hindi story reading, story in hindi with moral, hindi story book, hindi story for kids, love story in hindi, hindi story time, bedtime stories in hindi,  hindi kahaniyan pdf, hindi kahani reading, rk hindi kahaniya, hindi kahaniya for kids, hindi story, jadui kahaniya in hindi, hindi kahani video, प्रेरणादायक हिंदी कहानियां,



 शाम के समय निशा कपड़ों की तह बना रही थी । 

अचानक उसका गुस्सा कपड़ों पर निकल गया और वह कपड़ों को वही बिस्तर पर पटक कर कुछ बड़बड़ाने लगी –  कब तक यूं ही मैं और मेरे बच्चे तिल तिल कर जीते रहेंगे । इस घर के लिए मैंने क्या कुछ नहीं किया और मेरे बच्चों को दो वक्त की रोटी खाने को नसीब नहीं होती । आज सुबह की घटना उसकी आंखों के सामने फिर आ गई – उसकी 8 साल की बेटी स्नेहा की गलती बस इतनी सी थी कि उसने अपनी ताई जी से दो पनीर के टुकड़े मांग लिए थे । ताई जी मेरी सब्जी में आलू के टुकड़े हैं और सोनू भैया की सब्जी में 5– 5 पनीर के टुकड़े हैं । मुझे भी पनीर के टुकड़े दे दीजिए । सोनू भैया को आप ने गरम – गरम रोटी दी है और मुझे बासी रोटी ........  यह सब स्नेहा ने उदासी भरे स्वर में कहा । तब उसकी ताई जी जोर से चिल्लाते हुए बोली – तुम्हारे पापा यहां जायदाद छोड़कर नहीं गए  ।तुम्हारे बड़े पापा अकेले दिन भर कमाते हैं । मुफ्त की रोटी मिल रही है वही बहुत है । पनीर खाने के सपने छोड़ दो । यह सुनकर उस नन्ही स्नेहा की आंखों में आंसू भर आए । तभी निशा दौड़ते हुए अपनी बेटी स्नेहा के पास आई और उसके आंसू पोंछने लगी । लेकिन वह बहुत ही मजबूर थी । वह अपने आप को बहुत ही लाचार महसूस कर रही थी । तब वह स्नेहा को समझाते हुए बोली –  बेटी जो मिल रहा है , चुपचाप खा लिया करो । इस परिवार में निशा सबसे छोटी बहू बनकर आई थी । बहुत ही सुंदर , सुशील और घर के सारे कामों में निशा बहुत निपुण थी । अपने पति अविनाश का प्यार पाकर वह बहुत ही खुश रहती और मन लगाकर घर के सारे काम किया करती थी । परिवार में उसकी सास , जेठ , जेठानी और उनका बेटा सोनू था  । 5 सालों में निशा दो बच्चों की मां बन चुकी थी । उसकी एक बेटी स्नेहा और दूसरा बेटा वंश था। निशा का पति अविनाश एक प्राइवेट कंपनी में काम करता था । इतना तो कमा ही लेता था कि परिवार का गुजारा अच्छे से हो सके । सब कुछ कितना अच्छा चल रहा था । पर एक दिन अचानक भगवान ने पता नहीं किस गलती की सजा निशा को दी कि उसके पति अविनाश को एक साइलेंट अटैक आ गया और उसकी मौत हो गई । वह हमेशा – हमेशा के लिए निशा का साथ छोड़कर चला गया था । बेसुध सी निशा कुछ समझ ना पाई । अपनी सूनी आंखों से कभी गोद में बैठे बेटे वंश को देखती , तो कभी आंचल पकड़े अपनी बेटी नन्ही सी स्नेहा को ..........    निशा की जिंदगी एकदम से उजड़ गई थी । मायके में उसके भाई और भाभी थे । भाई ने निशा को अपने साथ चलने को कहा । लेकिन निशा ने मना कर दिया क्योंकि वहां भी उसे अपने भाई और भाभी के ऊपर बोझ बनकर ही रहना पड़ता । उसकी भाभी का स्वभाव भी कुछ खास अच्छा नहीं था और कम से कम यहां ससुराल में इसका कहने को घर तो था  । बच्चे काफी छोटे थे इसलिए उन्हें छोड़कर बाहर नौकरी भी नहीं कर सकती थी । इसी बीच उसका ससुराल में सबसे बड़ा सहारा उसकी सासू मां भी चल बसी । माता पिता समान उसके जेठ जेठानी उसके बच्चों को संभाल लेंगे , ऐसा सोचकर निशा ने जीवन भर यही रहने का सोचा । लेकिन उसकी जेठानी ने घर की सारी जिम्मेदारियों को एक-एक करके निशा के कंधों पर डाल दिया और अपने आप सब कामों से मुक्त हो गई । जो घर में एक काम वाली बाई आती थी उसे भी उसकी जेठानी ने हटा दिया । सारे दिन की मेहनत के बदले निशा और उसके बच्चों को दो वक्त की रोटी और एक साधारण से स्कूल में दाखिला करा दिया । निशा ने कई बार नौकरी ढूंढने की बात कही , तो उसके जेठ और जेठानी कहने लगे कि लोग क्या कहेंगे ? हमें ताना देंगे ......  घर की इज्जत का कुछ तो ध्यान रखो । उसके जेठ जी को समाज के आगे महान जो बनना था कि देखो भाई के जाने के बाद भी उसके परिवार का कितना ध्यान रखते हैं । दिन भर कोल्हू के बैल की तरह निशा काम करती थी और फिर भी उसे सूखी रोटी खाने को मिलती थी । स्नेहा भी नए स्कूल में नए बैग और जूतों , कपड़ों की मांग करती थी । लेकिन निशा उसे किसी तरह बहला-फुसलाकर मना लेती थी । एक दिन निशा की पड़ोसन ने कहा कि निशा तुम तो बहुत ही अच्छा अचार और पापड़ बना लेती हो , तो क्यों ना इसे ही अपना व्यवसाय बना लो । यह काम तो तुम घर पर रहकर भी कर सकती हो । शाम के समय निशा ने अपनी जेठानी के सामने बड़ी ही दबी जुबान में यह बात रखी । तुम अचार पापड़ बनाओगी तो घर का सारा काम कौन करेगा और काम शुरू करने के लिए पैसे चाहिए और हमारे पास इतने पैसे नहीं है –  उसकी जेठानी बोली । निशा अपना सा मुंह लेकर चुप रह गई । लेकिन आज अपनी बेटी को खाने के लिए रोता देख उसके अंदर बहुत कुछ टूट गया था । वह पूरी रात सो ना सकी । अगले दिन सुबह जल्दी उठी , बच्चों को स्कूल भेजा , जल्दी जल्दी घर के सारे काम किए  और भगवान के आगे हाथ जोड़ कर अपने बेटे को साथ लेकर एक सुनार की दुकान पर अपने सोने के झुमके बेचने के लिए चली गई । उन्हें बेचने से पहले एक बार तो निशा का मन अंदर से कांप गया कि क्या वह सही कर रही है ? यह झुमके तो उसके पति अविनाश की उसके पास आखिरी निशानी है । फिर उसे अपनी रोती हुई बेटी स्नेहा का चेहरा दिखाई दिया और उसने मन ही मन अपने पति से कहा कि मुझे माफ कर दीजिए ......  मेरे पास और कोई रास्ता नहीं है ।  मैं बहुत मजबूर हूं । मुझसे अपने बच्चों की लाचारी देखी नहीं जा रही । उसने झुमके बेचे और सुनार से पैसे ले लिए । घर आकर उसने अपने जेठ जेठानी के सामने यह बात रखी । मेरे बच्चों को भी खाने-पीने और पहनने का हक है और उनके लिए मैं मेहनत करूंगी । मैंने पैसों का इंतजाम कर लिया है और मैं अपनी कला को अपने व्यवसाय में बदलूंगी । यह छोटे-मोटे काम करके क्या हो जाएगा और ये इतना आसान नहीं है । यदि तुम अचार पापड़ बनाओगी  तो घर के सारे काम कौन करेगा ? उसकी जेठानी बोली । भाभी ये मकान हमारे ससुर जी का है इसलिए आधा काम मैं करूंगी और आधा काम आप करोगे । और काम तो काम होता है कुछ छोटा बड़ा नहीं होता ।  अगले दिन से निशा ने अपने हिस्से का काम किया और अचार पापड़ बनाने की तैयारी करने लगी । आसपास के घरों में जाकर ऑर्डर देने लगी । लोगों को उसके अचार और पापड़ का स्वाद पसंद आया और उसे बहुत से ऑर्डर मिलने लगे । अब तो वह बड़े पैमाने पर दुकानों में भी जाकर सप्लाई करने लगी । अपनी पहली कमाई देख निशा की आंखों में खुशी के आंसू आ गए थे । अब वह बहुत खुश थी कि अपने बच्चों को आत्मसम्मान का जीवन दे सकेगी और दो वक्त की इज्जत की रोटी भी दे सकेगी ।


बिन पति के बनी माँ 


बहुत पहले के समय में वामदेव जी नाम के एक व्यक्ति थें । वे विट्ठल जी के भक्त थे । पहले के समय में छोटी उम्र में ही बेटियों की शादी कर दी जाती थी । इसलिए उन्होंने अपनी बेटी की बहुत कम उम्र में शादी कर दी थी । शादी के कुछ समय बाद ही उनकी बेटी विधवा हो गई । ससुराल में कोई और सहारा ना होने के कारण वह अपने पिता के घर आ गई थी ।  उस छोटी सी खेलने की उम्र में वह बहुत ही चुपचाप और गुमसुम रहने लगी थी । उसके पिता एक दिन उसे विट्ठल जी के मंदिर में ले गए और बातों ही बातों में कहने लगे कि अब ये ही तेरे पति है । इसलिए तू अब विट्ठल जी को अपना पति मान ।  उस भोली भाली छोटी सी लड़की ने विट्ठल जी को अपना पति मान लिया । अब तो वह विट्ठल जी के मंदिर में जाकर उनकी सेवा करती थी ।  नित्य उनके दर्शन करती थी और इस तरह अपनी जिंदगी में बहुत ही खुश हो गई । समय बीतता गया एक दिन उसने अपनी सखी को कहते हुए सुना कि वह गर्भवती हो गई है और  कुछ महीने बाद उसकी सहेली के एक लड़का पैदा हुआ । तब उसके मन में भी मां बनने की ख्वाहिश जागी और उसने विट्ठल जी के मंदिर में जाकर कहा कि मैं भी मां बनना चाहती हूं । हे विट्ठल जी , आप मेरी इस मनोकामना को पूरा कीजिए । उसकी पुकार सुनकर विट्ठल जी एक साधारण से व्यक्ति का रूप बनाकर उसके पास आए और उससे बातें करने लगे  ।  लड़की ने पूछा आप कौन हो ? तब उन्होंने कहा कि मैं विट्ठल जी हूं , जिनकी तुम पूजा करती हो । तभी विट्ठल जी कहने लगे बताओ तुम्हें क्या चाहिए?  तब उस लड़की ने कहा कि मैं भी मां बनना चाहती हूं ।  जैसे ही विट्ठल जी ने उस लड़की के सिर पर हाथ रखा और उसे आशीर्वाद देते हुए कहा कि जाओ , नौ महीने बाद तुम्हारे गर्भ से भी एक पुत्र का जन्म होगा । भगवान के आशीर्वाद से  वह लड़की गर्भवती हो गई । अब तो सारे गांव में यह बात फैल गई कि विधवा कैसे गर्भवती हो सकती है। सब उसे ताने मारने लगे । उसके पिता ने भी उस पर शक किया । तब उसने कहा कि पिताजी , आपने ही तो कहा था कि विट्ठल जी ही मेरे पति हैं और विट्ठल जी ही मुझसे मंदिर में मिलने आए थे । उन्होंने ही मेरी मां बनने की इच्छा को पूरा किया है । परंतु उसके पिता को इस बात पर विश्वास नहीं हुआ । तब विट्ठल जी वामदेव जी के सपने में आए और उन्हें सारी बात बताई । तब सुबह उठकर वामदेव जी ने अपनी पुत्री के सर पर प्यार से हाथ फेरा और कहा कि तुम सत्य बोल रही थी । नौ महीने पश्चात उस लड़की ने एक पुत्र को जन्म दिया । उसका पुत्र बड़ा होकर बहुत ही महान संत बना । जिनका नाम नामदेव जी था । नामदेव जी ने कई बार साक्षात विट्ठल जी के दर्शन किए थे ।




tags :


hindi story reading,

story in hindi with moral,

hindi story book,

hindi story for kids,

love story in hindi,

hindi story time,

bedtime stories in hindi,


hindi kahaniyan pdf,

hindi kahani reading,

rk hindi kahaniya,

hindi kahaniya for kids,

hindi story,

jadui kahaniya in hindi,

hindi kahani video,

प्रेरणादायक हिंदी कहानियां,

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें