भगवान ने रचाई है ऐसी लीला की कोई खुश नहीं रहेगा


 

एक पेड़ की डाल पर एक कौवा बैठा हुआ था । उसी पेड़ की दूसरी डाल पर एक कोयल भी बैठी हुई थी । कौवा कोयल को देखकर सोचने लगा कि – यह भी काली है और मैं भी काला हूं । हम दोनों का रंग एक जैसा है , लेकिन फिर भी कोयल की आवाज को सब सुनते हैं । इसको सब प्रेम करते हैं और मुझे सब कंकड़ और पत्थर मारते हैं  इसकी जिंदगी कितनी खूबसूरत है और मेरी जिंदगी दुख से भरी है । चलो इस से इसके सुखी जीवन के बारे में पूछता हूं । वह कौवा कोयल के पास गया और बोला है कि – कोयल बहन , तुम्हारी जिंदगी कितनी अच्छी है । सब तुम्हें प्रेम करते हैं । तब कोयल बोली कि – क्यों कौवा भैया , तुम्हें हमारी जिंदगी कैसे अच्छी लगती है । तब कौवा बोला – जब तुम गाती हो तो लोग तुम्हारे मधुर गीत को सुनते हैं । और तुम से प्रेम करते हैं । और मैं जब बोलता हूं तो लोग मुझे कंकड़ पत्थर मारते हैं और हम से घृणा करते हैं । जबकि हम दोनों का रंग काला है । लोग हमारी आवाज सुनना भी पसंद नहीं करते । भगवान ने हमारे साथ कितनी नाइंसाफी की है । काश ! मैं भी एक कोयल होती । सब मुझसे प्रेम करते । कौवे की बात सुनकर कोयल बोली कि – ठीक है , अगर तुम्हें लगता है भगवान ने तुम्हारे साथ नाइंसाफी की है , तो तुम जाकर भगवान से कहो कि वह तुम्हें कोयल बना दे । यह सुनकर वह कौवा उड़ता हुआ कैलाश पर्वत पर गया और शंकर जी के सामने जाकर बोला कि हे प्रभु, आपने मेरा शरीर ऐसा क्यों बनाया है । सब मुझे मारते हैं , मुझ से घृणा करते हैं , मैं अपने शरीर को बदलना चाहता हूं । भगवान शिव बोले कि– ऐसा मत कहो , चलो मुझे बताओ तुम क्या बनना चाहते हो ? तब कौवा बोला कि – मैं कोयल बनना चाहता हूं । भगवान शिव बोले – ठीक है , मैं तुम्हें कोयल बना दूंगा । पर पहले तुम कोयल से पूछ कर आओ कि कोयल को अपनी जिंदगी से कोई शिकायत तो नहीं है । वह अपनी जिंदगी में खुश है ना ? भगवान शिव की बात सुनकर कौवा कोयल के पास गया और पूछने लगा कि कोयल तुम अपनी जिंदगी में खुश हो ? तुम्हें किसी तरह की कोई परेशानी तो नहीं है । क्योंकि मैं भी कोयल बनना चाहता हूं । तब कोयल बोली कि कौवा भैया सुनो , जैसा तुम सोच रहे हो । ऐसा मैं भी सोचती थी एक दिन मैंने सोचा कि मेरी आवाज मीठी है , तो क्या हुआ पर मेरा रंग तो काला है । हमसे अच्छा तो हंस है , वह कितना सुंदर दिखता है और उसका रंग भी सफेद है । उसकी जिंदगी कितनी खूबसूरत है , कितने सुंदर सरोवर में वह रहता है । कोयल की बात सुनकर कोवा शिव जी के पास पहुंचा और बोला कि – प्रभु , मुझे कोयल नहीं बनना , मुझे तो हंस बनना है । भगवान शिव बोले कि – मैं तुम्हें हंस बना दूंगा पर पहले एक बार हंस से जाकर पूछ कर आओ कि उसे तो अपनी जिंदगी से कोई समस्या नहीं है । वह अपनी जिंदगी से संतुष्ट है ना ? भगवान शिव की बात सुनकर कौवा हंस के पास आया और बोला कि हंस भैया , आप कितने खूबसूरत हो , कितने सुंदर सरोवर में आप रहते हो , आपकी जिंदगी बहुत अच्छी है । आपको अपनी जिंदगी से कोई समस्या तो नहीं होगी ? कौवे की बात सुनकर हंस बोला –  नहीं कौवा भैया ,  मैं अपनी जिंदगी से संतुष्ट नहीं हूं , मेरा रंग भगवान ने सफेद कफ़न की तरह  बनाया है और सारे दिन इस सरोवर में ही रहता हूं । जब लोग मुझे देखने आते हैं तो मुझे कंकड़ पत्थर मार के उड़ाते हैं। हमसे अच्छा तो तोता है , जो फलों के वृक्षों पर रहता है , मीठे – मीठे फल खाता है और कितना सुंदर है देखने में ।  हंस की यह बात सुनकर कौवा भगवान शिव के पास गया और बोला कि हे प्रभु , मुझे तोता बना दो । तब भगवान शिव बोले –  पहले एक बार जाकर तोते से पूछो कि क्या वह अपनी जिंदगी से संतुष्ट है । कौवा उड़ कर तोते के पास पहुंचा और बोला कि तोता भैया , आप कितने सुंदर हो , मीठे – मीठे फल खाते हो , जब आसमान में उड़ते हो कितने सुंदर लगते हो । आप से सभी प्रेम करते हैं । कौआ की यह बात सुनकर तोता बोला – अरे भैया ! क्या कह रहे हो ? हमारा रंग तो हरा है , लेकिन मैं अपनी जिंदगी से खुश नहीं हूं । हमें लोग पकड़कर पिंजरे में कैद कर देते हैं और अपने घर में रखते हैं । बल्कि हम तो आसमान में खुले उड़ना चाहते हैं । इससे बुरी जिंदगी और क्या होगी ?  अरे हम से तो अच्छी जिंदगी उस मोर की है , जो देखने में कितना सुंदर है , कितना सुंदर नाचता है और राष्ट्रीय पक्षी भी है ।  तोते की यह बात सुनकर कौवा शिव शंकर के पास गया और बोला कि प्रभु , मुझे तोता नहीं बनना , बल्कि मुझे मोर बना दो । तब शंकरजी बोले कि – ठीक है मैं तुम्हें मोर बना दूंगा , पर पहले जाकर एक बार मोर से भी पूछ कर आओ कि क्या वह अपनी जिंदगी से संतुष्ट है । उसे तो कोई शिकायत नहीं है । कौवा उड़ कर फिर मोर के पास गया और बोला कि – मोर भैया , आप कितने सुंदर हो । आपके रंग बिरंगे पंख है , जब नाचते हो कितने सुंदर लगते हो । सभी लोग आपको देखना पसंद करते हैं । आपकी जिंदगी कितनी खूबसूरत है । तब मोर बोला –तुमने जो बातें कही वह सब तो ठीक है , परंतु मेरी जिंदगी बहुत खराब है । तब कौवा बोला – वह कैसे ? तब मोर बोलता है कि जब मैं नाचता हूं , तो लोग मुझे देखते हैं और मुझे पकड़ने की कोशिश करते हैं । मेरे पंखों को उखाड़ देते हैं ,  और उन्हें बाजार में जाकर बेचते हैं । कई लोग तो , जो हमारे पंखों को पाना चाहते हैं , वह हमारे पीछे भागते हैं और कई बार तो हमें मार ही देते हैं । यह सुंदरता ही हमारी जान की दुश्मन है । यदि मैं इतना सुंदर ना होता , तो लोग ना तो हमारा पीछा करते और ना ही हमें मारते । पता नहीं भगवान ने मुझे ऐसा शरीर क्यों दिया । हमसे तो अच्छी तेरी जिंदगी है , तू  स्वतंत्र रहता है , आजाद रहता है , कोई तुझे नहीं पकड़ता , तेरी जिंदगी सबसे अच्छी है और तू अपनी जिंदगी से परेशान हो रहा है । मोर की बात सुनकर कौवा बहुत कुछ समझ चुका था । वह भगवान शिव के पास गया और बोला कि प्रभु , मुझे मोर नहीं बनना । मुझे आपने जैसा बनाया है , उसी से मैं संतुष्ट हूं । वह शिव शंकर को प्रणाम कर के चला जाता है ।

 तो दोस्तों , इस कहानी से यही सीख मिलती है कि हमें अपने शरीर की , अपने जीवन की तुलना किसी से नहीं करनी चाहिए । भगवान ने हमें जैसा बनाया है उसी में हमें संतुष्ट रहना चाहिए । दूसरों की सुंदरता और धन दौलत को देखकर हमें जलना नहीं चाहिए । बल्कि भगवान ने जो हमें शरीर दिया है कुछ सोच समझ कर ही दिया होगा । और हमें इसी शरीर के साथ अच्छे कर्म करने चाहिए


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