Hindi story | जिन्दा मरने के लिए कौन तैयार होगा | दान की महिमा | प्रेम के आंसू | A educational hindi story


 

एक बहुत ही न्याय प्रिय और दयालु राजा था । वह अपने इसी गुण के कारण पूरी प्रजा में बहुत ही लोकप्रिय था । एक दिन वह अपने महल में बैठा था कि अचानक उसके मन में सवाल आया कि मरने के बाद आदमी का क्या होता होगा ? अपने इस सवाल का जवाब पाने के लिए अगले दिन राजा ने दरबार में अपने मंत्रियों से यह सवाल पूछा । सभी मंत्रीगण राजा के इस जिज्ञासा भरे प्रश्न को सुनकर चिंतित हो उठे । काफी सोच विचार ने के बाद राजा ने निर्णय लिया कि उसके राज्य में सभी जगह ढिंढोरा पिटवा दिया जाए कि जो आदमी कब्र में मुर्दे के समान लेटकर रात भर कब्र में होने वाली सारी क्रियाओं को बताएगा ।  उसे 500 सोने की मोहरे भेंट की जाएंगी । यह बात ढिंढोरा पिटवा कर सारे राज्य में बता दी गई । अब समस्या यह आई कि अच्छा भला आदमी कौन जीवित मरने को तैयार हो । आखिरकार राज्य में एक व्यक्ति ऐसा मिल ही गया जो इस काम को करने के लिए तैयार हो गया । जो इतना कंजूस था कि वह पेट भरकर  खाता पीता भी नहीं था । वो राजा के सामने पेश हो गया । राजा ने उसके लिए फूलों की अर्थी सजवाई । उसे उस अर्थी पर लेटा कर सफेद कफन उढा कर कब्रिस्तान ले जाया गया ।  रास्ते में एक फकीर ने उसका पीछा किया और उससे कहा कि तुम तो अब मरने जा रहे हो और तुम अपने परिवार में अकेले हो । इसलिए तुम्हारा सारा धन घर में ही कैद रहेगा , उस धन में से मुझे थोड़ा सा धन दे दो । कंजूस व्यक्ति ने मना कर दिया । परंतु उस फकीर ने फिर भी उस कंजूस आदमी का पीछा नहीं छोड़ा और बार-बार कुछ मांगने की रट लगाए रहा । तब कंजूस आदमी ने परेशान होकर कब्रिस्तान में बादाम के छिलकों के ढेर पड़े हुए थे । उसमें से एक मुट्ठी छिलके उठाए और उस फकीर को दे दिए । इसके बाद उस कंजूस आदमी को कब्र में लिटा दिया गया और सारी कब्र को एकदम से बंद कर दिया गया । बस छोटा सा छेद सिर की तरफ इस आशा से छोड़ दिया गया कि जिससे यह सांस लेता रहे और अगली सुबह राजा को मरने के बाद का पूरा हाल सुनाएं । सभी लोग कंजूस को उस कब्र में  लिटा कर वापस अपने घर आ गए । रात हुई । रात को एक सांप उस कब्र के ऊपर आया और छोटा सा छेद देखकर उस में घुसने का प्रयत्न करने लगा । यह देखकर उस कंजूस की घबराहट का ठिकाना नहीं रहा । सांप ने जैसे ही घुसने का प्रयत्न किया तो बादाम के छिलके उसे छेद में आड़ बनकर आ गए । सुबह होते ही राजा के नौकर बड़ी जिज्ञासा से कब्रिस्तान में आए और कब्र खोदकर उस कंजूस आदमी को निकाला । मरने के बाद क्या हाल होता है यह सब राजा को सुनाने के लिए उन्होंने  उसे राजा के पास चलने को कहा । मगर उस कंजूस आदमी ने राजा के नौकरों की बात पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया । वह पहले अपने घर गया और अपनी सारी संपत्ति गरीबों में बांट दी । सभी लोग कंजूस की इस दान देने की दयालुता को देख कर हैरान हो गए । उनके मन में कई तरह के सवाल उठने लगे । अंत में कंजूस को राजा के सामने पूरा हाल सुनाने के लिए पेश किया गया ।  कंजूस आदमी ने रात में हुई सांप की और बादाम के छिलकों की पूरी कहानी कह सुनाई और कहने लगा कि महाराज मरने के बाद सबसे ज्यादा दान ही काम आता है । दान करना मनुष्य के लिए सबसे उत्तम है । मरने के बाद आदमी के साथ जो कुछ भी होता है वह उसके किए गए कर्मों पर ही आधारित होता है । इसलिए मरने के बाद उसके साथ अच्छा हो इसलिए आदमी को दान करना चाहिए ।


प्रेम के आंसू


एक बार एक सिद्ध महात्मा से एक भक्त कहने लगा कि –  हे गुरु महाराज , यह अभागा और पापी मन धन दौलत के लिए तो रोता बिलखता है परंतु भगवान अपनी आत्मा है और वह इस से नहीं मिला , इसके लिए तो यह रोता ही नहीं है ,  क्या करें ?  तब गुरू जी बोले कि – रोना नहीं आता , तो झूठ मुठ ही रो लिया करों । भक्त ने कहा कि – महाराज झूठ मुठ में भी रोना नहीं आता , तब क्या करें ? महाराज दयालु थे ।  उन्होंने भगवान के विरह की दो बातें की । बातें करते करते ही महाराज बोले कि – चलो झूठ मुठ में ही रो कर दिखाओ । वहां बैठे सब भक्तों ने झूठ मुठ में ही रोना शुरू कर दिया , तो रोते-रोते उनके मन में सच्चा भाव जागृत हो गया । तब गुरू जी बोले – यह झूठा संसार सच्चा आकर्षण पैदा करके 84 के चक्रों में डाल देता है , तो भगवान के लिए झूठ मूठ में रोना सच्चा विरह पैदा करके ह्रदय में प्रेमा भक्ति भी जगा देता है । अनुराग इस भावना का नाम है कि – भगवान हमसे बड़ा स्नेह करते हैं , हम पर अपनी कृपा दृष्टि रखते हैं । हम उनको नहीं देखते पर वह हमको देखते रहते हैं । हम उनको भूल जाते हैं पर भगवान हमें नहीं भूलते । हमने उनसे अपना नाता रिश्ता तोड़ लिया है , परंतु भगवान ने हम से अपना रिश्ता नहीं तोड़ा । उन्होंने हमें यह मानव जीवन देकर हमारे ऊपर सबसे बड़ा उपकार किया है । भगवान हमारा पालन-पोषण करते हैं इस प्रकार की भावना ही प्रेम का मूल है । अगर तुम यह मानते हो कि –  मैं भगवान से बहुत प्रेम करता हूं , लेकिन भगवान नहीं करते , तो तुम्हारा प्रेम अंदर से खोखला है । हमारे दिल के झरोखों में झुरमुट के पीछे जो हमें टुकर टुकर देख रहे हैं , उन्हें तुम अपने दिल की गहराई से एक बार पुकारो तो सही । हे नाथ......    हे मुरलीधर.......  हे श्यामसुंदर ........ टुकुर-टुकुर दिल के झरोखे से देखने वाले मनमोहन.....  अपनी प्रीति और अपनी भक्ति दे । चाहे कैसे भी हो उन्हें पुकारो .... वे बड़े दयालु हैं । वह तुम्हारी पुकार जरूर सुनेंगे और तुम्हारे ऊपर अपनी कृपा दृष्टि जरूर बनाएंगे ।

            तुलसी अपने राम को रीझ भजों या खीज ।

            भूमि फेंके उगेंगे  ,  उल्टे सीधे बीज  ।।

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